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Matamah Shradh: 17 अक्टूबर को होगा मातामह श्राद्ध, जानें क्या है इसका महत्व

Matamah Shradh इस वर्ष अधिक मास आश्विन होने से मातामह श्राद्ध नाना नानी का पितृपक्ष के एक माह बाद निज आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 17 अक्टूबर शनिवार को होगा।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 10:49 AM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 10:49 AM (IST)
Matamah Shradh: 17 अक्टूबर को होगा मातामह श्राद्ध, जानें क्या है इसका महत्व
Matamah Shradh: 17 अक्टूबर को होगा मातामह श्राद्ध, जानें क्या है इसका महत्व

Matamah Shradh: इस वर्ष अधिक मास आश्विन होने से मातामह श्राद्ध नाना, नानी का पितृपक्ष के एक माह बाद निज आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 17 अक्टूबर शनिवार को होगा। परिजनों की स्मृति में तर्पण और श्राद्ध कर्म की तिथि अनुसार करने की परंपरा है। लेकिन कई बार तिथियां ना पता होने दिवंगत के परिवार में संतान ना होने सहित कई समस्याएं होती है। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि संतान ना होने की स्थिति में मातामह श्राद्ध के दिन नाती तर्पण कर सकता है। अक्सर मातामह श्राद्ध पितृ पक्ष की समाप्ति के अगले दिन होता है लेकिन इस बार अधिमास के चलते एक महीने बाद 17 अक्टूबर को होगा। नवमी या अमावस्या के दिन सर्व पितृ श्राद्ध पर तिथि पता नहीं होने पर भी श्राद्ध कर्म हो सकता है। जिनके नाम और गोत्र का पता नहीं हो उनका देवताओं के नाम पर भी तर्पण कर सकते हैं। परंपरा है कि लोग अपनी संतान नहीं होने पर दत्तक गोद लेते थे ताकि मृत्यु के बाद वो पिंडदान कर सके। मान्यतानुसार दत्तक पुत्र दो पीढ़ी तक श्राद्ध कर सकता है।

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17 अक्टूबर को मातामह श्राद्ध:

आश्विन (आसोज) कृष्ण पक्ष को श्राद्ध पक्ष कहते हैं। इसमें दिवंगत आत्माओं को उनके स्वर्गवास की तिथी को उनका श्राद्ध निमित्त तर्पण आदि करते हैं। यहां अपराह्न के समय मृत्यु तिथी हो, उस दिन संबंधित दिवंगत पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है। सन्यासियों का श्राद्ध द्वादशी को करते हैं व यान दुघर्टना, विष शस्त्रादि से अपमृत्यु प्राप्त वालों का श्राद्ध चतुर्दशी को करते हैं। अमावस्या को सर्व पितृ और मातामह (नाना) मातामही (नानी) का श्राद्ध आश्विन शुक्ल प्रतिप्रदा ( नवरात्री) के दिन करते है । इस बार बीच में अधिक मास (पुरुषोत्तम मास) आने से मातामह श्राद्ध 17 अक्टूबर को हो सकेगा । अधिक मास के कारण इस साल श्राद्ध समाप्ति के अगले दिन से नवरात्रि पूजा शुरू नहीं होगी।

मातामह श्राद्ध में दूसरी पीढ़ी करती है तर्पण-पिंडदान:

ज्योषविद् के अनुसार दिवगंत परिजन के घर में लड़का ना हो, तो लड़की की संतान यानी नाती भी पिंडदान कर सकता है। मान्यतानुसार लड़की के घर का खाना नहीं खा सकते, इसलिए मातामह श्राद्ध के दिन नाती तर्पण कर सकता है।

क्या होता है मातामह श्राद्ध:

मातामह श्राद्ध, एक ऐसा श्राद्ध है जो एक पुत्री द्वारा अपने पिता व एक नाती द्वारा अपने नाना को तर्पण के रूप में किया जाता है। इस श्राद्ध को सुख शांति का प्रतीक माना जाता है । यह श्राद्ध करने के लिए कुछ आवश्यक शर्तें है अगर वो पूरी न हो तो यह श्राद्ध नहीं किया जाता है। शर्त यह है कि मातामह श्राद्ध उसी महिला के पिता के द्वारा किया जाता है जिसका पति व पुत्र जिंदा हो। अगर ऐसा नहीं है और दोनों में से किसी एक का निधन हो चुका है या है ही नहीं तो मातामह श्राद्ध का तर्पण नहीं किया जाता। शर्त यह है कि मातामह श्राद्ध उसी औरत के पिता का निकाला जाता है जिसका पति व पुत्र ज़िन्दा हो अगर ऐसा नहीं है और दोनों में से किसी एक का निधन हो चुका है या है ही नहीं तो मातामह श्राद्ध का तर्पण नहीं किया जाता। इस प्रकार यह माना जाता है कि मातामह का श्राद्ध सुख व शांति व सम्पन्नता की निशानी है।

श्राद्ध में ये तीन अत्यंत पवित्र माने जाते हैं:

पुत्री का पुत्र अर्थात दौहित्र, कुतप समय, अर्थात अपरान्ह समय व तिल। श्राद्ध कर्म में ये तीन पवित्र माने गए है। सामान्यतः श्राद्ध कर्म में कभी क्रोध व जल्दबाजी नहीं करना चाहिए।शांति, प्रसन्नता व श्रद्धा पूर्वक किया कर्म ही पितरों को प्राप्त होता है। धर्मशास्त्रीय ग्रन्थ सिद्धान्त शिरोमणि व अथर्वेद का मानना है कि श्राद्ध कर्म हमारे वेद शास्त्रों द्वारा अनुमोदित व विज्ञान सम्मत भी है। कन्यागत सूर्य में जो भोज्य सामग्री पितरों को दी जाती है वे समस्त स्वर्ग प्रदान करने वाली कही गयी है। पितृ पक्ष के ये सोलह दिन यज्ञों के समान है इस काल मे अपने पितरों की मृत्यु तिथि पर दिया गया भोजनादि पदार्थ अक्षय होता है अतः इस काल मे श्राद्ध ,तर्पण,दान, पुण्य आदि अवश्य करना चाहिए। इससे आयु, पुत्र, यश,कीर्ति,समृद्धि, बल, श्री,सुख,धन,धान्य की प्राप्ति होती है।

डिस्क्लेमर-

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. विभिन्स माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी. ''

 


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