Move to Jagran APP

हनुमान जी और विभीषण के बीच था एक खास रिश्‍ता

हनुमान भक्‍त शायद कम ही जानते होंगे की उनके और लंकापति रावण के भाई विभीषण के बीच स्‍नेह का एक खास रिश्‍ता था।

By Molly SethEdited By: Published: Tue, 03 Apr 2018 11:21 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 09:58 AM (IST)
हनुमान जी और विभीषण के बीच था एक खास रिश्‍ता
हनुमान जी और विभीषण के बीच था एक खास रिश्‍ता

राम भक्‍त होने के कारण थे प्रिय

loksabha election banner

सबसे पहली बात तो ये है कि हनुमान जी को वो हर प्राणी प्रिय है जो उनके आराध्‍य श्री राम का भक्‍त है। यही वजह है कि जब हनुमानजी लंका का दहन कर रहे थे तब उन्होंने अशोक वाटिका को नहीं जलाया था, क्योंकि वहां सीताजी रहती थीं। इसी तरह उन्होंने रावण के भाई विभीषण का भवन भी नहीं जलाया, क्योंकि विभीषण के भवन के द्वार पर तुलसी का पौधा लगा था। साथ ही भगवान विष्णु के चिन्‍ह शंख, चक्र और गदा भी बने हुए थे। सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह थी कि विभीषण के घर के ऊपर राम नाम अंकित था। उसी क्षण से विभीषण, हनुमान जी के प्रिय हो गए थे। यही कारण है कि जब विभीषण श्री राम की शरण में आये और सुग्रीव ने उनके प्रति आशंका प्रकट करते हुए दंड देने का सुझाव दिया, तो हनुमानजी ने उन्हें शिष्ट मान कर शरण में लेने का अनुरोध किया था और प्रभु राम ने उसे स्‍वीकार कर लिया था। 

हनुमान स्‍तुति की रचना

हनुमान जी ने कहा था कि जो एक बार विनीत भाव से उनकी शरण की याचना करता है और अपने आप को उन्‍हें समर्पित कर देता है तो वे उसे अभयदान प्रदान कर देते हैं। यह उनका व्रत है इसलिए विभीषण को शरण देना उनके लिए अनिवार्य है। ऐसा भी कहा गया है कि इंद्र आदि देवताओं के बाद धरती पर सबसे पहले  विभीषण ने ही हनुमानजी की स्तुति की थी। साथ ही विभीषण को भी हनुमानजी की तरह अमरत्‍व का वरदान प्राप्‍त है और वे आज भी जीवित माने जाते है। वीभीषण ने हनुमानजी की स्तुति के लिए अत्‍यंत कल्‍याणकारी स्तोत्र की रचना की है जिसे हनुमान वडवानल स्तोत्र कहते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.