Ketu Rashi Parivartan 2020: केतु के राशि बदलने से किस पर क्या पड़ेगा प्रभाव, क्या किए जाएं उपाय
Ketu Rashi Parivartan 2020केतु 23 सितम्बर से अपनी राशि परिवर्तन कर रहा है। केतु की चाल बदलने से मानव जीवन पर सीधे फर्क पड़ता है। सबसे पहले बात करते हैं शरीर संरचना व गुण – अवगुण की
Ketu Rashi Parivartan 2020: केतु 23 सितम्बर से अपनी राशि परिवर्तन कर रहा है। केतु की चाल बदलने से मानव जीवन पर सीधे फर्क पड़ता है। सबसे पहले बात करते हैं शरीर संरचना व गुण – अवगुण की। जातक में केतु अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। केतु के कारण ही जातक का स्वभाव कठोर होता है। जातक त्वरीत आक्रोशित हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र में केतु ग्रह का कोई निश्चित राशि नहीं बताया गया है। इसलिए केतु जिस भी राशि में विराजता है वह उसी के अनुसार जातक को परिणाम देता है। इसलिए ज्योतिष के मुताबिक जातक की कुंडली में केतु का प्रथम भाव अथवा लग्न में विराजना व उसका परिणाम उस भाव स्थित राशि प्रभावित करती है। हालांकि कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि लग्न का केतु जातक को स्वाभाव से साधू बनाता है व आध्यात्म की ओर ले जाता है। जातक सांसारिक सुखों से दूर हो जाता है।
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास से जानते हैं सभी राशियों पर केतु के इस गोचर का प्रभाव।
मेष:
यह गोचर आपको धार्मिक प्रवृत्ति को लेकर जाएगा। इस दौरान आप किसी तीर्थ स्थल पर जा सकते हैं। सांसारिक जीवन की अपेक्षा अध्यात्म जीवन में आपकी रुचि रहेगी।
वृष:
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कामयाबी मिलने की संभावना है। यदि आप रिसर्च के छात्र हैं तो उसमें यह गोचर कामयाबी दिलाएगा। पीएचडी के छात्र हैं तो इस वर्ष आपको उसमें सफलता मिल सकती है। आपको पैरों में दर्द की शिकायत रह सकती है।
मिथुन:
कार्यक्षेत्र में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। बॉस की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। इस दौरान संभल कर काम करें। वैवाहिक जीवन में भी परेशानियां उत्पन्न होंगी। जीवनसाथी और व्यापार में सहयोगियों से मतभेद हो सकते हैं।
कर्क:
यह गोचर अशुभ परिणामकारी हो सकता है। इस दौरान आपको जीवन में संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है। शत्रु आपके ऊपर हावी होने का प्रयास करेंगे और आपको स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानी का भी सामना करना पड़ सकता है।
सिंह:
आपको संतान से जुड़ी समस्या हो सकती है। प्रेम जीवन में पार्टनर के साथ गलतफहमियां बढ़ेंगी। लेकिन यदि आप एक छात्र हैं तो आपको अच्छे परिणाम मिलने की प्रबल संभावना है।
कन्या:
आपके सुखों में कमी आने की संभावना है। इस समय आपकी माता जी की सेहत भी खराब रह सकती है। यदि आप इस समय कोई वाहन या प्रॉपर्टी खरीदने वाले हैं तो उन्हें मुहूर्त के हिसाब से ही खरीदें।
तुला:
आपके साहस में कमी आएगी। आपका आत्म-विश्वास कमजोर हो सकता है। साथ ही घर में छोटे भाई-बहनों के साथ भी मतभेद हो सकते हैं। अध्यात्म के विषय आपको अपनी ओर आकर्षित करेंगे।
वृश्चिक:
इस समय परिस्थितियां आपके लिए प्रतिकूल होंगी। आपका मोह सांसारिक चीजों से भंग हो सकता है। धार्मिक, वैराग्य और अध्यात्म के विषय आपको अपनी ओर आकर्षित करेंगे।
धनु:
इस दौरान आपकी कल्पना शक्ति प्रबल होगी। आपको चीजों का पूर्वानुमान हो सकता है। वहीं कार्य व व्यवसाय में परिस्थितियां आपके अनुकूल नहीं होंगी। घर में परिजनों से अनबन हो सकती है।
मकर:
आपके खर्चों में अनावश्यक रूप से वृद्धि हो सकती है। धन हानि की संभावनाएं हैं। लंबी दूरी की यात्राएं योग में हैं लेकिन इस यात्राओं में आप अधिक धन खर्च होगा। आप किसी कारण से विदेश यात्रा पर भी जा सकते हैं।
कुंभ:
आपकी आमदनी में कमी आएगी। रुका हुआ पैसा भी आपको मुश्किलों से प्राप्त होगा। किसी घरेलू मुद्दे को लेकर बड़े भाई बहनों से रार बढ़ सकती है। कार्य क्षेत्र में उपलब्धि अथवा पहचान न मिलने के कारण आप निराश हो सकते हैं।
मीन:
आपकी राह में परिस्थितियां आसान नहीं होंगी। कार्यक्षेत्र में चुनौतियां आएंगी। कार्य स्थल पर आपके विरोधी आपकी छवि को नुकसान पहुंचाने की पूरी कोशिश करेंगे। आपको उनके कुचक्र से बचने की आवश्यकता है।
केतु ग्रह के उपाय:
समय समय पर भगवान शिव जी का पार्थिव पूजन एवं अभिषेक करावे तथा मंदिर में काला-सफेद कंबल दान करें। घर में कुत्ता पालें या फिर उसकी सेवा करें तथा बंदरों को गुड़ खिलायें। नित्य मस्तक में केसर का टीका लगाएं और केशर का दान करे तथा शंक्रांति के समय छाया दान करें। यदि मंदिरों की धार्मिक यात्रा करें और मंदिरों में सिर झुकाएं तो दूसरे भाव का केतू अच्छे परिणाम देगा। यदि संतान से परेशान है तो मंदिर में काले और सफेद रंग वाला कंबल दान करें। कान में सोना पहनें। बड़ों का सम्मान करें, विशेषकर ससुर का सम्मान जरूर करें। सोने की सलाई गर्म करके दूध में बुझाएं और इसके बाद उस दूध को पियें इससे मानसिक शांति बढेगी, आयु वृद्धि होगी और यह बेटों के लिए भी अच्छा रहेगा। बुरी संगतो एवं मादक पदार्थो का सेवन न करें। केतु से बचने का सबसे अच्छा उपाय है हमेशा प्रसन्न रहना, जोर से हँसना… इससे केतु आपके मन को वश में नहीं कर पाएगा। प्रतिदिन गणेशजी का पूजन-दर्शन करें। काले, सलेटी रंगों का प्रयोग न करें। मजदूर, अपाहिज व्यक्ति की यथासंभव मदद करें। लोगों में उठने-बैठने, एवं सामाजिक होने की आदत डालें। लहसुनिया पहनने एवं दान करने से भी केतु के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।
केतु के दान:
यदि कुंडली में केतु अशुभ फल दे रहे हो तो बुधवार के दिन संध्या के समय लहसुनिया, तिल तेल, तिल के बीज, काला कंबल, कला वस्त्र, कस्तूरी, सात प्रकार का अन्न, केला, आदि किसी सात्विक ब्राह्मण को पूर्ण श्रद्धा से दक्षिणा सहित दान चाहिए, इससे केतु के अशुभ फल दूर होते है, शुभ फल मिलने लगते है।
केतु का तांत्रिक मन्त्र :- “ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः”।।
केतु पौराणिक मन्त्र :- “ॐ केँ केतवे नम:”।।
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