शुरू होने से पहले ही कौसरनाग यात्रा का विरोध
दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में काकरन और जम्मू के रियासी जिले से माहौर के रास्ते कौसरनाग के लिए जाने वाली यात्रा शुरू होने से पहले ही विवादों में घिर गई है। स्थानीय लोगों ने यात्रा का यह कहकर विरोध जताना शुरू कर दिया है कि इससे इलाके के पर्यावरण को खतरा उत्पन्न हो सकता है। रियासी से यह
जम्मू, जागरण संवाददाता। दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में काकरन और जम्मू के रियासी जिले से माहौर के रास्ते कौसरनाग के लिए जाने वाली यात्रा शुरू होने से पहले ही विवादों में घिर गई है। स्थानीय लोगों ने यात्रा का यह कहकर विरोध जताना शुरू कर दिया है कि इससे इलाके के पर्यावरण को खतरा उत्पन्न हो सकता है। रियासी से यह यात्रा तीसरी बार और काकरन से पहली बार आयोजित की जा रही है। नागपंचमी के दिन तीस जुलाई को कौसरनाग में झील के किनारे पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाएगा। भगवान शिव की पूजा-अर्चना भी की जाएगी।
विदित हो कि कश्मीर में गंगबल यात्रा को शुरू करने वाले संगठन ऑल पार्टीज माइग्रेंटस कोऑर्डिनेशन कमेटी का ऐतिहासिक कौसरनाग यात्रा को दशकों बाद शुरू करने का प्रयास पहली बार किया जा रहा है। यात्रा को सफल बनाने के लिए संगठन अपने प्रयास में व्यस्त है। संगठन के पदाधिकारियों ने दुर्गम पहाड़ों के बीच स्थित कौसरनाग यात्रा के रूट का जायजा लिया है।
वहीं, जम्मू के रियासी जिले से जाने वाली यात्रा के लिए सभी बंदोबस्त का जायजा जिला प्रशासन ने कुछ दिन पहले लिया है। कौसरनाग के आसपास रहने वाले लोगों में यात्रा के विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं। कौसरनाग से तीस किलोमीटर दूर अहरबल के स्थानीय लोगों के एक ग्रुप का नेतृत्व कर रहे उमर भट्ट का कहना है कि यात्रियों के इलाके में आने से पर्यावरण को नुकसान होगा।
वहीं, कश्मीरी हिंदुओं में स्थानीय लोगों के दोगले रवैये पर खासी नाराजगी है। उनका मानना है कि एक तरफ कश्मीरी हिंदुओं को उनके पुरातन घरों में ही बसाने की कवायद यह लोग करते हैं। दूसरी ओर उनके धार्मिक स्थलों व परंपराओं का निर्वाह करने में अड़चनें डालने से भी गुरेज नहीं करते।
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