लौटेगा काशी का पुराना वैभव
पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान (बीएचयू) व क्योटो यूनिवर्सिटीज ग्रेजुएट स्कूल ऑफ ग्लोबल इनवायर्नमेंटल स्टडीज के बीच शैक्षणिक समझौता हुआ है। इरादा तो यही है कि दोनों की संस्थाएं शोध के जरिए ऐसी राह सुझाए जिससे कि काशी का वैभव लौट आए। इसी इरादे को नवीन तेवर देते हुए क्योटो
वाराणसी। पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान (बीएचयू) व क्योटो यूनिवर्सिटीज ग्रेजुएट स्कूल ऑफ ग्लोबल इनवायर्नमेंटल स्टडीज के बीच शैक्षणिक समझौता हुआ है। इरादा तो यही है कि दोनों की संस्थाएं शोध के जरिए ऐसी राह सुझाए जिससे कि काशी का वैभव लौट आए। इसी इरादे को नवीन तेवर देते हुए क्योटो विवि ने अब विश्वविद्यालय स्तर पर समझौते का इरादा जताया है ताकि बीएचयू में उपलब्ध विविध विधाओं का पूरा लाभ काशी को मिल सके। अगले महीने क्योटो विश्वविद्यालय से विशेषज्ञों का दल आने वाला है। इस दल के साथ विभिन्न तथ्यों पर विमर्श होगा।
संयुक्त पाठ्यक्रम- संस्थान के निदेशक प्रो. एएस रघुवंशी कहते हैं कि दोनों ही संस्थाएं संयुक्त पाठ्यक्रम संचालित करेंगी और जून में पाठ्यक्रम की रूपरेखा तय होने की संभावना है। बताया कि शोध के केंद्र में होगा गवर्नेंस, शिक्षा और तकनीकी। ठोस कचरा प्रबंधन, सीवेज व्यवस्था, आपदाएं जैसे बाढ़ व जरूरत से अधिक बरसात आदि भी ध्यान में रहेंगे। सुगम यातायात पर भी नजर रहेगी। क्योटो विवि ने अध्ययन के लिए छात्रा नेहा साहू को नामित किया है।
शैक्षणिक आदान-प्रदान - बताया कि समझौते के तहत क्योटो व बीएचयू से शिक्षकों, विशेषज्ञों व विद्यार्थी शोध के लिए आएंगे-जाएंगे। इस निमित्त संयुक्त रूप से दोनों ही शिक्षण संस्थाएं डुअल डिग्र्री पाठ्यक्रम भी संचालित करेंगी।
राह सुझाएंगे- बताते हैं कि इस समझौते के मूल में सिर्फ और सिर्फ यही है कि काशी का पुराना वैभव लौटाया जाए। वे बेहद आशान्वित हैं और कहते हैं जापानी शहर क्योटो की तर्ज पर काशी की दशा सुधरेगी, जरूर सुधरेगी। प्राचीन और जीवंत नगरी का पुराना वैभव वापस लौटेगा। थोड़ा वक्त तो लगेगा लेकिन इस शहर के आभामंडल में 'आनंदकाननÓ का भी दर्शन होगा। बताया कि जापानी शोध छात्र रानित चटर्जी और प्रतिमा वर्मा ने शहर के दशाश्वमेध, आदमपुर, कोतवाली, भेलूपुर, ट्रांस वरुणा की अंतरिम अध्ययन रिपोर्ट भी तैयार की है। इस रिपोर्ट की अभी विस्तृत व्याख्या की जानी है।