ऐसा मानना है कि भगवान को ज्येष्ठा नक्षत्र में बुखार आया है
भगवान जगन्नाथ उनके भ्राता बलराम जी और बहन सुभद्रा जी को तेज बुखार है। यह तेज बुखार दो दिन और रहेगा।
होशंगाबाद। भगवान जगन्नाथ उनके भ्राता बलराम जी और बहन सुभद्रा जी को तेज बुखार है। यह तेज बुखार दो दिन और रहेगा। यह बात वैद्य पं गोपाल प्रसाद खड्डर ने भगवान की नस और नाडी देखकर मंदिर के मंहत नारायण दास और सुदर्शनाचार्य को बताई है। भगवान की तबियत पूर्णिमा के दिन महास्नान के बाद से बिगडी है।
तेज ज्वर होने के कारण वैद्य ने बताया कि तेज बुखार होने की स्थिति में भगवान को विशेष जडी बूटी वाला ताबीज बांधना आवश्यक हो गया है। साथ ही मालिस वाली चिकित्सा से जल्द आराम मिलेगा। महालक्षादि तेल की मालिश शुरू कर दी गई है। खान पान में परहेज भी बताया गया है। भगवान को भोग लगाने के संबंध में यह बताया गया कि हल्का भोजन जिसमें खिचडी, दलिया, मूंग की दाल व पतली रोटी का भोग लगाया जाए। ठंडे पदार्थ,मीठा, तले व गरिष्ठ भोजन से पूरी तरह परेज रखा जाना आवश्यक है। बनाया पर्चा लिखी औषधियां पं खड्डर ने उपचार के लिए पर्चा बनाया है जिसमें दिव्य औषधियां लिख कर उन्हें जल्द लाने को कहा है। इन औषधियों में विषमज्वारातंक लौह, स्वर्ण मोती युक्त, गिलोयसत,सितोपलादि चूर्ण, भ्रंग भस्म,इन सबकी 30पुडियां बनाकर एक एक पुडिया शहद से देना है। इसके अलावा महासुदर्शन कान कुमारी आसव ये दोनों दवा दो-दो चम्मच मिलाकर भोजन के बाद सेवन कराना है।
15 दिन में होगा ज्वर शांत वैद्य का ऐसा मानना है कि भगवान को ज्येष्ठा नक्षत्र में बुखार आया है। जो 05दिन तक अधिक परेशान करेगा। इसके बाद 12 दिनों तक परहेज करने पर और दवाईओं का सेवन करने पर पूरी तरह शांत हो जाएगा। उन्होने बताया कि विभिन्न नक्षत्रों में मंत्रो द्वारा आहूति देने से ज्वर ठीक हो जाता है। इस स्थिति में इंद्रासुत्रामेति इस मंत्र को पढकर स्वर्ण की आहूति देवे या स्वर्ण के अभाव में पीले पूᆬल की आहूति दी जाती है। जिससे ज्वर शांत किया जाता है। उन्होने बताया कि इस बार पहली बार जडी बूटी वाला ताबीज जिसमें सहदेवी की जड को कंठ में डाल कर तथा वदन में मालिस किया जा रहा है। भोज्य पदार्थों में धान की लाई और सत्तू दिया जा रहा है। इसके साथ ही धूप देकर चिकित्सा गूगल,बच, कूठ, नीम के पत्ते, जौ, धी,हरड, सफेद सरसों, इसके चूर्ण को धूप देने से सभी प्रकार का ज्वर शांत हो जाता है।