12 वर्ष बाद विराजित की महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा
मां महिषासुर मर्दिनी (बस देवी) की मूर्ति नीलम पत्थर से बनी है। इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 6 करोड़ से अधिक है।
सिंगोली (नीमच) । मां महिषासुर मर्दिनी (बस देवी) की प्रतिमा 12 साल बाद मंदिर में विराजित हुईं। दौलतपुरा के नवनिर्मित मंदिर में विधि-विधान के साथ प्राण-प्रतिष्ठा की गई। इस दौरान 12 गांवों के हजारों भक्त पहुंचे। परिसर में महाप्रसादी का आयोजन किया गया।
मां महिषासुर मर्दिनी (बस देवी) सिंगोली व आसपास क्षेत्र के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है। सालों से देवी मां सिंगोली थाने में विराजमान थीं। मां महिषासुर मर्दिनी की सुरक्षा के प्रति जिला व पुलिस प्रशासन सतर्क है। ग्रामीणों ने भी इस बार सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान विधायक ओमप्रकाश सकलेचा भी पहुंचे। उन्होंने सम्मान के प्रतिउत्तर में मंदिर के समीप धर्मशाला निर्माण के लिए 5 लाख 1 हजार व प्रवेश द्वार के लिए 2 लाख 1 हजार की स्वीकृति प्रदान की। सड़क निर्माण कार्य कराने का आश्वासन भी दिया।
2004 में चोरी हुई थी मूर्ति
मां महिषासुर मर्दिनी (बस देवी) की मूर्ति नीलम पत्थर से बनी है। इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 6 करोड़ से अधिक है। 9 जनवरी 2004 को मां बस देवी की मूर्ति चोरी हो गई थी। 10 जनवरी को सिंगोली थाने में इसकी शिकायत दर्ज हुई थी। जयपुर के विद्या नगर थाना पुलिस ने 20 फरवरी 2004 को मूर्ति बरामद की। इसे तस्करों ने चुराकर विदेश भेजने की तैयारी की थी। इसके उपरांत हाल ही में न्यायालय ने मूर्ति को मंदिर में विराजित करने की अनुमति दी।