Move to Jagran APP

अभ्यास का महत्व

अपने-अपने क्षेत्रों में जो भी व्यक्ति सफल हुए हैं उनकी सफलता में अभ्यास की महती भूमिका रही है। अभ्यास के द्वारा मूढ़ से मूढ़ व्यक्ति भी विद्वान बन सकता है। निसंदेह किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने में अभ्यास का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

By Jeetesh KumarEdited By: Published: Sat, 25 Sep 2021 02:07 PM (IST)Updated: Sat, 25 Sep 2021 02:07 PM (IST)
अभ्यास का महत्व
अभ्यास का महत्व : Importance of practice to achieve success in life

अपने-अपने क्षेत्रों में जो भी व्यक्ति सफल हुए हैं उनकी सफलता में अभ्यास की महती भूमिका रही है। अभ्यास के द्वारा मूढ़ से मूढ़ व्यक्ति भी विद्वान बन सकता है। नि:संदेह किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने में अभ्यास का महत्वपूर्ण योगदान होता है। गुरु द्रोण ने एकलव्य को धनुर्विद्या देने से इन्कार कर दिया था। उसके उपरांत एकलव्य ने उन्हें चोरी-छिपे देखकर स्वयं धनुष-बाण चलाने का अभ्यास किया और वह धीरे-धीरे धनुíवद्या में निपुण होता गया। कालजयी हाकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद एक मैच में गोल नहीं दाग पा रहे थे तो उन्हें गोलपोस्ट की माप पर कुछ संदेह हुआ। जब उस गोलपोस्ट की माप ली गई तो वह अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप नहीं थी। यह ध्यानचंद का स्वयं पर विश्वास ही था और यह विश्वास अभ्यास के द्वारा अर्जित हुआ था। आज यदि हम बल्ब की रोशनी पा रहे हैं तो उसके पीछे भी अभ्यास की शक्ति ही निहित है। एडिसन ने बार-बार असफल होने के बावजूद अभ्यास करना नहीं छोड़ा और एक दिन उस वस्तु का आविष्कार कर दिया जिसने दुनिया को प्रकाश दिया।

loksabha election banner

अभ्यास की शक्ति को मानव ही नहीं, अपितु पशु-पक्षी भी महत्व देते हैं। मधुमक्खियां निरंतर परिश्रम और अभ्यास से फूलों का रस एकत्र करती हैं और अमृत तुल्य शहद बनाती हैं। इसी प्रकार नन्हीं चींटी जब अपने खाने के लिए अनाज एकत्र करती है तब इस प्रकिया में अनेक बार अनाज का टुकड़ा उसके मुंह से छूटता है, किंतु वह निरंतर चलने का अभ्यास करती है और अंतत: गंतव्य तक भार उठाए चलती जाती है। इसी तरह पक्षी अपना घोंसला बनाने के लिए जगह-जगह से तिनका-तिनका एकत्र करते हैं। फिर अत्यंत परिश्रम और अभ्यास से घोंसला बनाने में सफल हो जाते हैं। वास्तव में अभ्यास जीवन की नदी में वह नाव है जो अपने सवार को प्रवाह के बीच से सुरक्षित निकालकर गंतव्य तक पहुंचाती है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अभ्यास ही आत्म-विकास का सवरेत्तम साधन है।

पुष्पेंद्र दीक्षित

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.