Rin Mochan Stotra: चंद दिनों में पाना चाहते हैं कर्ज से मुक्ति, तो रोजाना करें ऋण मोचन स्तोत्र का पाठ
Rin Mochan Stotra धार्मिक मान्यता है कि भगवान नरसिंह की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Rin Mochan Stotra: आधुनिक समय में लोगों की जीवनशैली में व्यापक बदलाव हुआ है। आजकल लोग आरामदायक जीवन जीना पसंद करते हैं। इसके लिए गाड़ी, बंगला समेत अन्य सुख सुविधाओं की चीजें कर्ज लेकर खरीदते हैं। कुछ लोग लोन लेकर गाड़ी और बंगला खरीदते हैं, तो कुछ लोग बच्चों की शिक्षा के लिए लोन लेते हैं। हालांकि, जब कर्ज चुकाने की बारी आती है, तो लोगों को काफी परेशानी होती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि कर्ज लेने से धन की देवी मां लक्ष्मी अप्रसन्न हो जाती हैं। अतः पूर्व समय में लोग कर्ज लेने से बचते थे। अगर आप भी आर्थिक विषमता के चलते कर्ज में डूबे हैं, तो कर्ज से मुक्ति पाने के लिए रोजाना श्री नरसिंह ऋण मोचन स्तोत्र का पाठ करें। श्री नरसिंह ऋण मोचन स्तोत्र का पाठ करने से तत्काल लाभ प्राप्त होता है। आइए, ऋण मोचन स्तोत्र का पाठ करें-
श्री नरसिंह ऋण मोचन स्तोत्र
ॐ देवानां कार्यसिध्यर्थं सभास्तम्भसमुद्भवम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
लक्ष्म्यालिङ्गितवामाङ्गं भक्तानामभयप्रदम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
प्रह्लादवरदं श्रीशं दैतेश्वरविदारणम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
स्मरणात्सर्वपापघ्नं कद्रुजं विषनाशनम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
अन्त्रमालाधरं शङ्खचक्राब्जायुधधारिणम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
सिंहनादेन महता दिग्दन्तिभयदायकम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
कोटिसूर्यप्रतीकाशमभिचारिकनाशनम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
वेदान्तवेद्यं यज्ञेशं ब्रह्मरुद्रादिसंस्तुतम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॐ ॥
इदं यो पठते नित्यं ऋणमोचकसंज्ञकम् ।
अनृणीजायते सद्यो धनं शीघ्रमवाप्नुयात् ॥
।। इति श्री नरसिंह ऋण मोचन स्तोत्रम् सम्पूर्णम्।।
ऋण मोचक मङ्गलस्तोत्रम्
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।
स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः।।
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः।।
अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।
व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः।।
एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्।।
धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्।।
स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्।।
अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय।।
ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।
भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा।।
अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्।।
विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।।
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः।।
पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।
ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः।।
एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।
महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा।।
।। इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम्।।
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