क्यों और किस तरह करें उपवास या व्रत की मिले सफलता
व्रत उपवास का संबंध शारीरिक एवं मानसिक शुद्धिकरण से है। इससे हमारा शरीर स्वस्थ रहता है। व्रत कई प्रकार के होते हैं जैसे नित्य, नैमित्तिक, काम्य व्रत।
बीमारियों से बचने के लिए व्रत-उपवास काफी कारगर उपाय है साथ ही इससे धर्म लाभ भी प्राप्त होता है।व्रत का अर्थ है संकल्प या दृढ़ निश्चय तथा उपवास का अर्थ ईश्वर या इष्टदेव के समीप बैठना भारतीय संस्कृति में व्रत तथा उपवास का इतना अधिक महत्व है कि हर दिन कोई न कोई उपवास या व्रत होता ही है। सभी धर्मों में व्रत उपवास की आवश्यकता बताई गई है। इसलिए हर व्यक्ति अपने धर्म परंपरा के अनुसार उपवास या व्रत करता ही है। वास्तव में व्रत उपवास का संबंध हमारे शारीरिक एवं मानसिक शुद्धिकरण से है। इससे हमारा शरीर स्वस्थ रहता है। व्रत कई प्रकार के होते हैं जैसे नित्य, नैमित्तिक, काम्य व्रत।
नित्य व्रत भगवन को प्रसन्न करने के लिए निरंतर किया जाता है। नैमित्तिक व्रत किसी निमित्त के लिए किया जाता है।
काम्य- किसी कामना से किया व्रत काम्य व्रत है।
व्रत के स्वास्थ्य लाभ- व्रत उपवास से शरीर स्वस्थ रहता है। निराहार रहने, एक समय भोजन लेने अथवा केवल फलाहार से पाचनतंत्र को आराम मिलता है। इससे कब्ज, गैस, एसिडीटी अजीर्ण, अरूचि, सिरदर्द, बुखार, मोटापा जैसे कई रोगों का नाश होता है। आध्यत्मिक शक्ति बढ़ती है। ज्ञान, विचार, पवित्रता बुद्धि का विकास होता है। इसी कारण उपवास व्रत को पूजा पद्धति को शामिल किया गया है।
व्रत किसे नहीं करना चाहिए- सन्यासी, बालक, रोगी, गर्भवती स्त्री, वृद्धों को उपवास करने पर छूट प्राप्त है।
व्रत के नियम है- जिस दिन उपवास या व्रत हो उस दिन इन नियमों का पालन करना चाहिए।
- किसी प्रकार की हिंसा न करें।
- दिन में न सोएं।
- झूठ न बोलें। किसी की बुराई न करें।
- व्यसन न करें।
- भ्रष्टाचार न करने का संकल्प लें।
- व्यभिचार न करें।
- किसी भी प्रकार का अधार्मिक कृत्य न करें अन्यथा व्रत का पूर्ण पुण्य लाभ प्राप्त नहीं हो पाता है।