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राधा की लाडली मंदिर में उडऩे लगा होली का रंग

श्यामा श्याम के दिव्य व आत्मिक प्रेम की अनूठी लठामार होली के रंग में श्रीधाम बरसाना रंगने लगा है। होली की मस्ती व अबीर गुलाल में सराबोर श्रद्धालु लाडलीजी मंदिर में सुधबुध खोकर झूम रहे हैं। यहां की राधाकृष्ण की प्रेमभरी होली के रंग में रंगने को विदेश भक्त भी

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 25 Feb 2015 02:08 PM (IST)Updated: Wed, 25 Feb 2015 02:15 PM (IST)
राधा की लाडली मंदिर में उडऩे लगा होली का रंग

बरसाना। श्यामा श्याम के दिव्य व आत्मिक प्रेम की अनूठी लठामार होली के रंग में श्रीधाम बरसाना रंगने लगा है। होली की मस्ती व अबीर गुलाल में सराबोर श्रद्धालु लाडलीजी मंदिर में सुधबुध खोकर झूम रहे हैं। यहां की राधाकृष्ण की प्रेमभरी होली के रंग में रंगने को विदेश भक्त भी आतुर हैं।

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तीन लोक से न्यारी बरसाना की लठामार होली में एक दिन शेष रह गया है। लेकिन बृषभान नंदनी के निज धाम बरसाना में होली का रंग कई दिनों से बरस रहा है। सोमवार को लाडली जी मंदिर में अबीर गुलाल व रंग वर्षा में विदेशी भक्त भी मदमस्त होकर नाच उठे। अबीर गुलाल में सराबोर श्रद्धालु राधाकृष्ण की दिव्य होली का आनंद लेने के लिए आतुर थे। विदेशी भक्त हाथों में गुलाल लेकर एक दूसरे को लगा रहे थे।

हुरियारों पर बरसाने को तैयार हो रहा रंग-

लठामार होली में हुरियारों पर रंग बरसाने के लिए लाडली मंदिर में टेसू के फूलों से रंग तैयार किया जा रहा है। राधाकृष्ण के इस दिव्य होली में प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाता है।

होली का रंग पूरे बरसाना में छाया है लेकिन सभी को उस पल का भी बेसब्री से इंतजार है, जब बरसाना की हुरियारिनें नंदगांव के हुरियारों पर अपनी प्रेमपगी लाठियां बरसाएंगी। विश्व प्रसिद्ध लठामार होली मेला का आनंद लेने के लिए देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु बरसाना आते हैं। वहीं नंदगांव के हुरियारों पर रंग बरसाने के लिए लाडली मंदिर में टेसू के फूलों से रंग तैयार किया जा रहा है। हुरियारों पर प्राकृतिक रंगों की ही बौछार की जाती है। क्योंकि इस रंग से त्वचा पर कोई नुकसान नहीं होता है। मान्यता है कि द्वापरयुग में भी राधाकृष्ण इसी तरह के रंगों से होली खेला करते थे। जबकि टेसू के फूलों से बनने वाले रंग को गोस्वामी समाज द्वारा तैयार किया जाता है। सेवायत रासबिहारी गोस्वामी ने बताया कि करीब एक ट्रक सूखे टेसू के फूलों को दिल्ली से मंगवाया गया है। इन फूलों को कई दिन पहले पानी में रखा जाता है जिसके बाद इसे आग पर उबाल कर रंग तैयार किया जाता है।


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