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Happy Lohri 2021 Date: आज है लोहड़ी, जानें क्यों मनाया जाता है यह त्योहार

Happy Lohri 2021 Date नववर्ष 2021 में लोहड़ी का त्योहार आज 13 जनवरी दिन बुधवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। लोहड़ी मुख्यत पंजाब हरियाणा में मनाई जाती है लेकिन उत्तर भारत में भी इसका उत्सव होता है। लोहड़ी का त्योहार मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व मनाया जाता है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2021 01:25 PM (IST)Updated: Wed, 13 Jan 2021 08:06 AM (IST)
Happy Lohri 2021 Date: आज है लोहड़ी, जानें क्यों मनाया जाता है यह त्योहार
Happy Lohri 2021 Date: आज है लोहड़ी, जानें क्यों मनाया जाता है यह त्योहार

Happy Lohri 2021 Date: नववर्ष 2021 में लोहड़ी का त्योहार आज 13 जनवरी दिन बुधवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। लोहड़ी मुख्यत: पंजाब, हरियाणा में मनाई जाती है, लेकिन उत्तर भारत में भी इसका उत्सव होता है। लोहड़ी का त्योहार मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व मनाया जाता है। इस दिन शाम के समय में आग जलाकर उसमें अन्न डाले जाते हैं, फिर फसल की कटाई शुरु होती है। इस समय गेहूं की नई फसल तैयार होती है। उनकी ही बालियों को तोड़कर सबसे पहले आग में अर्पित किया जाता है। लोहड़ी के दिन लोग भांगड़ा और गिद्दा नृत्य करते हैं और उत्सव मनाते हैं।

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लोहड़ी को नई फसल की कटाई तथा सर्दी के समापन का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिन से सर्दी कम होने लगती है, वातावरण का तापमान बढ़ने लगता है। लोहड़ी के दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं। एक दूसरे को बधाइयां एवं शुभकामनाएं देते हैं।

लोहड़ी का अर्थ

लोहड़ी को तिलोड़ी भी कहा जाता है। यह तिल और गुड़ की रोड़ी से मिलकर बना है। इस दिन तिल और गुड़ खाने का महत्व है। इस दिन लोग एक दूसरे को तिल और गुड़ की बनी रेवड़ी देते हैं।

लोहड़ी उत्सव

शाम के समय में आग जलाई जाती है। फिर लोग उस आग के चारो ओर एकत्र हो जाते हैं और उसकी परिक्रमा करते हुए उसमें रेवड़ी, खील, मूंगफली आदि डालते हैं। फिर बाद आग के पास बैठकर गज्जक, रेवड़ी आदी खाते हैं। इस दिन भोजन में मक्के की रोटी और सरसों के साग को खाने का भी प्रचलन है।

पंजाब में इस त्योहार की अलग ही रौनक देखने को मिलती है। जिन लोगों का विवाह हुआ होता है या उनकी संतान हुई होती है, तो उनकी पहली लोहड़ी को विशेष माना जाता है। नवदंपत्तियों को ​विशेष रूप से बधाइयां दी जाती हैं। लोहड़ी के दिन पंजाब में बहुएं लोकगीत गाती हैं और लोहड़ी मांगती हैं। लोक गीत में दुल्ला भट्टी के गीत गाए जाते हैं।

दुल्ला भट्टी के बिना अधूरी है लोहड़ी

ऐसी मान्यता है कि मुगलकाल में दुल्ला भट्टी नाम का एक लुटेरा था। वह हिन्दू लड़कियों को गुलाम के तौर पर बेचने का ​विरोध करता था। वह उनको आजाद कराकर हिन्दू युवकों से विवाह करा देता था। लोहड़ी के दिन उसके इस नेक काम के लिए गीतों के माध्यम से उसका आभार जताया जाता है।


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