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अयोध्या में भगवान ने भी ओढ़ ली रजाई

ठंड व कुहासा गहराने के साथ ही अधिग्रहीत परिसर के अस्थाई मंदिर में विराजमान रामलला सहित अन्य मंदिरों में विराजमान भगवान की मूर्तियों को भी रजाई ओढ़ाई जाने लगी है। मौसम के साथ भगवान की सेवा का ढंग भी बदल गया है। फूलों की जगह देशी घी की बत्ती से आरती की जा रही है। (गर्मी में भगवान को ठंडक पहुंचाने के लिए फूलों से अ

By Edited By: Published: Sat, 21 Dec 2013 12:26 PM (IST)Updated: Sat, 21 Dec 2013 12:35 PM (IST)
अयोध्या में भगवान ने भी ओढ़ ली रजाई

अयोध्या। ठंड व कुहासा गहराने के साथ ही अधिग्रहीत परिसर के अस्थाई मंदिर में विराजमान रामलला सहित अन्य मंदिरों में विराजमान भगवान की मूर्तियों को भी रजाई ओढ़ाई जाने लगी है। मौसम के साथ भगवान की सेवा का ढंग भी बदल गया है। फूलों की जगह देशी घी की बत्ती से आरती की जा रही है।

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(गर्मी में भगवान को ठंडक पहुंचाने के लिए फूलों से आरती किए जाने की परंपरा है।) इन दिनों ठंड से बचाने के लिए भगवान को पुष्पहार की बजाय कृत्रिम हार पहनाया जा रहा है। गर्भगृह में आग जलाकर अंगीठी रखी जा रही है। प्रात:काल अभिषेक के लिए अर्चकों द्वारा गर्म जल का प्रयोग किया जा रहा है। रामलला के मुख्य अर्चक सत्येंद्र दास ने बताया कि रामलला को रेशमी रजाई ओढ़ाई जा रही है। मौसम के बदलने के साथ भगवान को हिना, कस्तूरी, केसर, जूही व रातरानी की सुगंध लगायी जा रही है। देव विग्रहों को गर्म कपड़ों के अलावा दिन में ऊनी शाल व रात में रजाई अथवा कंबल ओढ़ाया जा रहा है। कनक भवन, मणिराम दास जी की छावनी, रामवल्लभाकुंज, कालेराम मंदिर, रामहर्षणकुंज, जानकी महल ट्रस्ट, दशरथ महल, रंगमहल, लक्ष्मण किला, सियाराम किला, कोसलेश सदन, अशर्फी भवन, उत्तर तोताद्रि मठ, दंतधावन कुंड, रामकथा कुंज, हनुमत निवास, हनुमत सदन, विजय राघव मंदिर नई छावनी आदि मंदिरों में भगवान को ठंड से बचाने की व्यवस्था आरंभ कर दी गई है।

जानकी महल स्थित गणेश जी को पुजारी द्वारा कंबल ओढ़ाया जा रहा है। रामनगरी के सिद्ध संतों की श्रृंखला के सुमेरु स्वामी रामवल्लभाशरण की तपोस्थली रामवल्लभाकुंज में भगवान की सेवा के विविध उपाय किए जा रहे हैं। पीठ के अधिकारी राजकुमार दास ने बताया कि भगवान राम-जानकी के सामने गर्भगृह में आग की अंगीठी दोनों समय रखी जा रही है। भगवान के अभिषेक के लिए मुख्य अर्चक रामाभिषेक दास द्वारा गर्म जल, कस्तूरी, जूही आदि सुगंध का प्रयोग कर ऊनी वस्त्र पहनाए जा रहे हैं। इतना ही सभी मंदिरों में भगवान के जागरण व शयन का समय भी मौसम के अनुरूप बदल चुका है।

अधिकांश मंदिरों में प्रात: सात बजे भगवान के पट खुलने के साथ-साथ रात्रि नौ बजे शयन कराया जा रहा है। अलग-अलग मंदिरों का यह समय भिन्न-भिन्न है। नागेश्वरनाथ मंदिर में भगवान महादेव के लिए शयन आरती के बाद बाकायदा बिस्तर लगाकर रजाई आदि से सेवा की जा रही है।

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