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Ganesh Chaturthi Vrat Katha: आज गणेश चतुर्थी पर जरूर सुनें यह व्रत कथा, होगी गणपति की कृपा

Ganesh Chaturthi Katha पंचाग के अनुसार माह के दोनों चतुर्थी शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष भगवान गणेश को समर्पित हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का पूजन करके व्रत कथा सुनना बहुत ही लाभकारी होता है

By Ritesh SirajEdited By: Published: Sat, 26 Jun 2021 04:29 PM (IST)Updated: Sun, 27 Jun 2021 06:40 AM (IST)
Ganesh Chaturthi Vrat Katha: आज गणेश चतुर्थी पर जरूर सुनें यह व्रत कथा, होगी गणपति की कृपा
Ganesh Chaturthi Vrat Katha: आज गणेश चतुर्थी पर जरूर सुनें यह व्रत कथा, होगी गणपति की कृपा

Ganesh Vrat Katha किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है। सनातन परंपरा में गणेश चतुर्थी व्रत और गणेश पूजन का विशेष महत्व है। गणेश पूजन से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है, इसलिए इनकी पूजा पूरे विधि-विधान से किया जाता है। पंचाग के अनुसार माह के दोनों चतुर्थी, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष भगवान गणेश को समर्पित हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का पूजन करके व्रत कथा सुनना बहुत ही लाभकारी होता है। व्रत कथा को पढ़ने और सुनने से इंसान के सारे कष्ट और दुखों का निवारण हो जाता है। वैसे भगवान गणेश व्रत पर कई कथाएं प्रचलित हैं।

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गणेश चतुर्थी व्रत कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार सभी देवता संकट से घिरे थे। वे मदद मांगने के लिए शिव के पास पहुंच गए। उस समय भगवान शिव और माता पार्वती के साथ उनके दोनों पुत्र कार्तिकेय और गणेश भी वहां मौजूद थे। देवताओं के कष्ट को सुनकर भगवान शिव ने दोनों पुत्रों से पूछा कि तुम दोनों में से कौन इनकी मदद कर सकता है। दोनों शिव पुत्रों ने एक स्वर में खुद को इस योग्य बताया। 

इस को सुलझाने के लिए भगवान शिव ने कहा कि तुम दोनों में से जो सबसे पहले पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाकर आएगा, वही देवताओं की मदद करने जाएगा। शिव की बात सुनकर कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा पर चल दिये, लेकिन गणेश सोचने लगे कि चूहे से परिक्रमा करना बहुत मुश्किल है और इसमें बहुत सारा समय लगेगा। बहुत सोच-विचार के बाद उन्हें एक युक्ति सूझी। गणेश अपने स्थान से उठकर पिता शिव और माता पार्वती की सात बार परिक्रमा करके बैठ गए। जब कार्तिकेय वापस लौकर आए और गणेश को बैठा पाकर खुद को विजयी समझने लगे।

भगवान शिव ने गणेश से परिक्रमा ना करने का कारण पूछा तो गणेश ने जवाब दिया कि 'माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक है।' उनके इस जवाब से सभी दंग रह गए। भगवान शिव ने उन्हें देवताओं की मदद करने की आज्ञा दी    कि प्रत्येक चतुर्थी के दिन जो तुम्हारी पूजन और चंद्रमा को अर्ध्य देगा, उसके सभी कष्टों का निवारण होगा। इस व्रत को करने वाले के जीवन में सुखों का आगमन होगा।

गणेश चतुर्थी के दिन कथा सुनने और पढ़ने से इंसान के सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है उसे किसी भी तरह के कष्ट का सामना नहीं करना पड़ता हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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