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Rudraksha: जानिए, रुद्राक्ष के विविध रूप और उनके धार्मिक, ज्योतिषीय और औषधीय महत्व

Rudraksha भारतीय औषधिशास्त्र और ज्योतिष में रुद्राक्ष का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यता के अनुरूप इसका संबंध भगवान शिव से माना जाता है। लेकिन ये कई रूप और प्रकार के होते हैं और इसी आधार पर उनका गुण और महत्व भी होता है। आइए जानते हैं इसके बारे में....

By Jeetesh KumarEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 05:30 PM (IST)Updated: Fri, 30 Jul 2021 07:17 AM (IST)
Rudraksha: जानिए, रुद्राक्ष के विविध रूप और उनके धार्मिक, ज्योतिषीय और औषधीय महत्व
जानिए, रुद्राक्ष के विविध रूप और उनके धार्मिक, ज्योतिषीय और औषधीय महत्व

Rudraksha: रुद्राक्ष, हिमालय के तराई क्षेत्र और नेपाल में पाए जाने वाले एक विशेष प्रकार के फल का बीज होते हैं।पौराणिक मान्यता के अनुरूप इसका संबंध भगवान शिव से माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार वर्षों तक कठोर तपस्या में लीन शिव जी ने जब अचानक किसी कारणवश अपने नेत्र खोले। तो उनके नेत्र से आंसुओं की कुछ बूदं पर्वत पर गिरीं इन्हीं अश्रु बूंदों से रुद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हुए। इसी कारण इनका नाम रूद्राक्ष अर्थात रुद्र का अक्ष या शिव का अश्रु पड़ा। भारतीय औषधिशास्त्र और ज्योतिष में रुद्राक्ष का विशेष महत्व है। लेकिन ये कई रूप और प्रकार के होते हैं और इसी आधार पर उनका गुण और महत्व भी होता है। आइए जानते हैं इसके बारे में....

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विविध प्रकार के रुद्राक्ष और उनका उपयोग

1-एक मुखी रुद्राक्ष

एकमुखी रुद्राक्ष को साक्षात भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है। इस रुद्राक्ष में केवल एक धारी होती है।हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति या जिनकी कुंडली में सूर्य संबंधी दोष हो उन्हें एकमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

2-दो मुखी रुद्राक्ष

दोमुखी रुद्राक्ष को अर्धनारीश्वर स्वरूप माना जाता है। इस पर दो धारियां होती हैं। कर्क राशि के जातकों के लिए दोमुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ होता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

3-तीन मुखी रुद्राक्ष

तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि सवरूप माना जाता है। इस रुदाक्ष को धारण करने से कुंड़ली में व्याप्त मंगल दोष समाप्त हो जाता है। मेष और वृश्चिक राशि के जातकों को इस धारण करना उत्तम फलदायक है।

4-चार मुखी रुद्राक्ष

इस रुद्राक्ष को चतुर्मुखी ब्रह्मा का रूप माना जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से त्वचा के रोगों, एकाग्रता और रचनात्मकता में इसका विशेष लाभ होता।

5- पंच मुखी रुद्राक्ष

पंच मुखी रुद्राक्ष को कालाग्नि भी कहा जाता है। इस रुद्राक्ष का संबंध बृहस्पति ग्रह से है, इसे धारण करने से शक्ति और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

6- छः मुखी रुद्राक्ष

छः मुखी रुद्राक्ष को षड़ानन भगवान कार्तिकेय का स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करना शुक्र ग्रह के लिए लाभकारी माना जाता है। इसे धारण करने से धन और वैभव की प्राप्ति होती है।

7- सात मुखी रुद्राक्ष

इसे सप्तऋषियों का स्वरुप माना गया है। इस रुद्राक्ष का संबंध ज्योतिष में शनि ग्रह से माना जाता है। इसे धारण करने से आर्थिक संपन्नता की प्राप्ति होती है।

8- आठ मुखी रुद्राक्ष

आठ मुखी रुद्राक्ष अष्टदेवियों का रूप माना जाता है। इसे धारण करने से अष्टसिद्धियों की प्राप्त होती है तथा राहु संबंधित समस्या से मुक्ति मिलती है।

9- नौ मुखी रुद्राक्ष

नौ मुखी रुद्राक्ष धन-सम्पत्ति, मान-सम्मान और यश बढ़ाता है तथा इसे धारण करने से व्यक्ति को साहस और निडरता की प्राप्ति होती है।

10- दस मुखी रुद्राक्ष

दस मुखी रूद्राक्ष व्यक्त को नाकारात्मक शक्तियों से बचाता है। इसे पहनने से दमा, गठिया, पेट, और आंख संबंधी रोगों में लाभ होता है।

11- ग्यारह मुखी रुद्राक्ष

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है। साथ ही यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।

12- बारह मुखी रुद्राक्ष

बारह मुखी रुद्राक्ष पेट के रोग, ह्रदय रोग और मस्तिष्क के रोगों में लाभ प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त ज्योतिष में इसे सफलता प्राप्ति का कारक भी माना जाता है।

13-तेरह मुखी रुद्राक्ष

इस रुद्रक्ष का संबंध शुक्र ग्रह से माना जाता है। मान्यता है कि इसे धारण करने से वैवाहिक जीवन में सुख की प्राप्ति होती है।

14- चौदह मुखी रुद्राक्ष

चौदह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से छठी इंद्रीय जागृत होती है जो कि आपके मस्तिष्क को संयमित करके सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करती है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

 


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