फल्गु के पूर्वी तट पर दिन भर लगा रहा तांता
सनातन धर्मावलंबियों के विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला के दौरान सीता कुंड पिण्डदान करने की पौराणिक महत्ता हैं। स्वयं सीता माता ने अपने श्वसुर राजा दशरथ का पिण्डदान किया था। ऐसे में सीता कुंड में पिण्डदान करने का महत्व पिण्डदानियों के लिए काफी मायने रखता है। देश के कोने-कोन से पितृपक्ष
मानपुर (गया) : सनातन धर्मावलंबियों के विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला के दौरान सीता कुंड पिण्डदान करने की पौराणिक महत्ता हैं। स्वयं सीता माता ने अपने श्वसुर राजा दशरथ का पिण्डदान किया था। ऐसे में सीता कुंड में पिण्डदान करने का महत्व पिण्डदानियों के लिए काफी मायने रखता है। देश के कोने-कोन से पितृपक्ष में यात्री सीता कुंडआकर पितरों को मोक्ष की प्राप्ति के लिए पिण्डदान करते हैं। बावजूद इसके सीताकुंड की व्यवस्था बदहाल है। यहां प्रशासन के द्वारा कोई व्यवस्था नही किया गया है। इस कारण पिण्डदानियों परेशानियां बढ़ गई है।
सीता कुण्ड मंदिर परिसर में लगभग दस वर्ष पूर्व पेयजल व्यवस्था को ले पिआउ का निर्माण कराया गया था। लेकिन देखरेख के अभाव में जर्जर स्थिति हो गया है। टंकी की सफाई नही कराया गया है। साथ ही टंकी गंदा रहने, टंकी से पानी रीसना तथा मंदिर परिसर में पेशाबखाना नही रहने के कारण पिआउ के निकट ही लोग पेशाबखाना बना दिया है। रविवार से आने बाले यात्रियों के लिए पेयजल सुविधा के लिए एकमात्र पिआउ है। इसके अलावा सरकारी एक भी चापाकल नही लगाया गया है।
ट्रांसफार्मर नही बदलने से वोल्टेज समस्या: मानपुर में स्थित सीताकुण्ड जो सलेमपुर गांव के निकट पहाड़ी के नीचे स्थित है। मंदिर पूजारी धनेश पाण्डेय ने बताया कि सलेमपुर में तीन दशक पूर्व में लगभग पचास घर था। उसी समय एक सौ केवी का ट्रांसफार्मर लगाया गया था। अब गांव में तीन सौ घर हो गया है। परन्तु आज तक वही ट्रांसफार्मर से लोगों का कनेक्शन है। ज्यादा लोड रहने कारण वोल्टेज की समस्या हो गई है। उसी ट्रांसफार्मर से सीताकुण्ड मंदिर का भी कनेक्शन है। परिणामत: शाम होते ही मंदिर अंधकार में डूब जाता है। शाम में आये यात्रियों को अंधकार रहने के कारण परेशानी ङोलना पड़ेगा।
नवनिर्मित दीवार के पास कायम है गड्ढा : सीता कुंड मंदिर को सौंदर्यीकरण के लिए पार्क का निर्माण कराया गया था। लेकिन कुछ माह के बाद ही पार्क के दक्षिण निर्मित दीवार ध्वस्त हो गया। उसे पितृपक्ष को लेकर निर्माण कराया गया है। परन्तु संवेदक द्वारा निर्मित दीवार से सटे लगभग लंबाई बीस फीट लंबाई दस फीट गहरा गड्ढा को छोड़ दिया गया है।
सीता कुंड स्थित मंदिर में दर्शन के लिए उमड़े पिंडदानी
देश के कोने-कोने से अपने पितरों को मोक्ष प्राप्ति कराने को ले पिण्डदान करने आये हजारों यात्रियों ने नवमी तिथि मंगलवार को मानपुर के सलेमपुर गांव के पहाड़ी के नीचे स्थित सीताकुण्ड में बालू का पीण्डदान किया। यात्रियों की भीड़ के कारण सीताकुण्ड में जगह नही मिलने पर फल्गू नदी में पिण्डदान किया। जानकारों के अनुसार सीताकुण्ड मंदिर में राजा दशरथ को सीता द्वारा बालू का दिये पिण्डदान की कहानी जुड़ा है। उक्त कहानी में राजा दशरथ की मृत्यु होने के बाद उनके पुत्र श्री राम पिण्डदान करने के लिए सामग्री लाने के लिए निकले हुए थे। इसी बीच सीता के निकट दशरथ ने पिण्डदान की मांग करने के लिए अपने हाथ बढ़ाये। तभी श्री राम को सामग्री लाने में देर होते देख सीता ने बालू का पिण्डदान कर दी। उसी समय से सीताकुण्ड में बालू का पिण्डदान करने का परम्परा हो गया। जो कायम है।