कृष्ण जन्मभूमि पर भी खूब उड़ा गुलाल
मार भर-भर झोरी, राधे के संग कान्हा खेलें होरी.। श्रीकृष्ण जन्मस्थान के प्रांगण की होली का बुधवार को कुछ ऐसा ही नजारा था। गुलाल से आसमान लाल-पीला हो गया, इत्र की फुहारों से वातावरण सुगंधित हो गया। देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालु इंद्रधनुषी छटा देख भाव विभोर हो गए और उन्होंने भी फूलों की पंखुड़ियां झोरी में भर-भर
मथुरा। मार भर-भर झोरी, राधे के संग कान्हा खेलें होरी.। श्रीकृष्ण जन्मस्थान के प्रांगण की होली का बुधवार को कुछ ऐसा ही नजारा था। गुलाल से आसमान लाल-पीला हो गया, इत्र की फुहारों से वातावरण सुगंधित हो गया। देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालु इंद्रधनुषी छटा देख भाव विभोर हो गए और उन्होंने भी फूलों की पंखुड़ियां झोरी में भर-भर कर मारीं। उधर, लीलामंच पर राजस्थान और ब्रज के कलाकारों की प्रस्तुतियों पर भक्त जमकर थिरक रहे थे।
राधाबल्लभ जी के डोले ने राहों में बिखेरे सप्तरंग-
सप्त देवालयों में प्रमुख मंदिर राधा बल्लभ से श्री राधाबल्लभ जी का डोला निकाला गया। डोले के साथ चल रहे भक्तों ने सड़कों पर रंग-गुलाल की ऐसी बौछार की कि वातावरण में सप्तरंगी छटा बिखर गई। रंगों के गुबार के बीच भक्तों के नृत्य और गीत से सड़कों का सन्नाटा टूटता रहा। 1सैकड़ों साल पुरानी परंपरा के अनुसार श्री राधाबल्भजी को डोले का नगर भ्रमण सुबह बिहारी बाजार से शुरू हुआ। इस दौरान भक्तों के श्री राधाबल्लभ के जयकारों से आसपास का माहौल रसमय हो गया।
डोले के साथ हजारों भक्तों की विभिन्न टोलियों गीत, भजन और रसिया गीतों और धुनों पर नृत्य करती हुई चल रहीं थीं। इनमें सबसे अग्रणी रहीं श्री राधाबल्लभजी की भक्ति की दीवानी युवतियां और महिलाएं। हालांकि पुरुषों की टोलियां भी नृत्य करने में पीछे नहीं रहीं।
डोले पर सवार श्री राधाबल्लभ के स्वरूप का लोगों ने जगह-जगह स्वागत किया। कुछ श्रद्धालुओं ने फल माला अर्पित कर आरती उतारी।
डोले का भमण बिहारी बाजार, अठखंभा, प्रताप बाजार, लोई बाजार, किशोरपुरा, चुंगी चौराहा विद्यापीठ समेत अनेक स्थानों पर हुआ। डोले के संग पुलिस की टुकड़ी भी सुरक्षा के मद्देनजर साथ चल रही थी।