अयोध्या में देर रात तक मंदिरों में संपादित हुई विवाह की रस्म
गत कई दिनों से व्याप्त राम विवाहोत्सव का उल्लास अगहन शुक्ल पंचमी को नियत तिथि आने के साथ चरम पर जा पहुंचा। मंदिरों में देर रात तक सीताराम विवाह की रस्म भांवर एवं अन्य गतिविधियों के रूप में निभाई गईं वहीं सांझ ढलते ही नगरी रामबरात की रौनक से सराबोर
अयोध्या। गत कई दिनों से व्याप्त राम विवाहोत्सव का उल्लास अगहन शुक्ल पंचमी को नियत तिथि आने के साथ चरम पर जा पहुंचा। मंदिरों में देर रात तक सीताराम विवाह की रस्म भांवर एवं अन्य गतिविधियों के रूप में निभाई गईं वहीं सांझ ढलते ही नगरी रामबरात की रौनक से सराबोर हो गई।
एक-दो नहीं पूरे 30 मंदिरों से बरात निकली। वह भी पूरे वैभव से। आराध्य के अनुरागी भक्तों की फौज, संतों की जमात और पालकी पर विराजमान आराध्य के विग्रह एवं घोड़े पर सवार राम, लक्ष्मण आदि के स्वरूप के साथ बैंड की धुन, हाथी-घोड़े और वैभव के अनेकानेक साधन सम्मिलित थे। जिन मंदिरों से बरात निकली, उनमें कनकभवन, दशरथमहल बड़ास्थान, रंगमहल, जानकीमहल, रामहर्षणकुंज, विअहूतिभवन आदि प्रमुख रहे।
प्रमोदवन के रास्ते से गुजरने वाली जानकीमहल एवं रामहर्षण कुंज से निकली बरात का श्रृंगारकुंज के सामने भावपूर्ण स्वागत हुआ। बरात में शामिल भगवान के स्वरूप की महंत हरिभजनदास ने आरती उतारी और सहयोगियों के साथ बरातियों का माल्यार्पण करने के साथ पुष्प वर्षा की गई। 11 ङ्क्षक्वटल लड्डू का प्रसाद बांटने के साथ बरातियों को मिनरल वाटर पिलाया गया।
रामवल्लभा कुंज, लक्ष्मणकिला, बिड़ला मंदिर जैसे मंदिरों से बरात तो नहीं निकली पर विवाह की रस्म का निष्पादन पूरी भव्यता एवं संजीदगी से हुआ। यह अवसर विवाह गीतों से भी आप्लावित रहा। रामप्रिया के मधुर मिलन में कोहबर घर मुस्काए.., मंगल आज जनकपुर घर-घर आजु मंगल ब्याह उछाह..आदि प्रतिनिधि गीतों की गूंज गुरुवार की शाम का कुछ पल त्रेता में ले जा रही थी।