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Durga Mata Aarti: पूजा करते समय पढ़ें दुर्गा माता की आरती, मिलता है शुभ फल

Durga Mata Aarti आज शुक्रवार है। आज के दिन दुर्गा माता की पूजा भी की जाती है। इन्हें देवी शक्ति और जग्दम्बा भी कहा जाता है। माता की पूजा करते समय उनकी आरती करना भी आवश्यक होता है

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 07:35 AM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 07:35 AM (IST)
Durga Mata Aarti: पूजा करते समय पढ़ें दुर्गा माता की आरती, मिलता है शुभ फल
Durga Mata Aarti: पूजा करते समय पढ़ें दुर्गा माता की आरती, मिलता है शुभ फल

Durga Mata Aarti: आज शुक्रवार है और आज के दिन दुर्गा माता की पूजा भी की जाती है। इन्हें देवी, शक्ति और जग्दम्बा भी कहा जाता है। दुर्गा माता को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, गुणवती योगमाया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार रहित माना गया है। मान्यता है कि दुर्गा मां शान्ति, समृद्धि तथा धर्म की रक्षक हैं और राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं। दुर्गा माता की आठ भुजाएं हैं। इनके हाथ में त्रिशूल, चक्र, गदा, धनुष, शंख, तलवार, कमल, तीर और अभयहस्त हैं। उन्होंने महिषासुर नामक असुर का वध किया था। इनके पति स्वयंभू शिव शंकर हैं।

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कहा जाता है कि दुर्गम नाम के दैत्य का वध करने के कारण ही माता का नाम दुर्गा देवी पड़ा। माता को शाकंभरी देवी के नाम से जाना जाता है। दुर्गा देवी को ही दुनिया की पराशक्ति और सर्वोच्च देवता माना जाता है। आदि शक्ति देवी ने ही सावित्री, लक्ष्मी और पार्वती के रूप में जन्म लिया था। इन्होंने ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश से विवाह किया था। तीन रूप में होकर भी वो एक ही हैं। इन्हें आदि शक्ति कहा जाता है। माता की पूजा करते समय उनकी आरती करना भी आवश्यक होता है।

दुर्गा माता की आरती:

जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति ।

तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥

मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।

उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥

केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।

सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।

कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥

शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।

बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥

भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।

मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।

श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥

श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।

कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥


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