अखाड़ा परिषद से मान्यता की जरूरत नहीं
परी अखाड़ा प्रमुख त्रिकाल भवंता ने कहा है कि उन्हें अखाड़ा परिषद से मान्यता की जरूरत नहीं है।
उज्जैन। परी अखाड़ा प्रमुख त्रिकाल भवंता ने कहा है कि उन्हें अखाड़ा परिषद से मान्यता की जरूरत नहीं है। न ही उनसे मान्यता मांगी हैं। कोर्ट याचिका में सुरक्षा और स्नान का समय मांगा था, जो प्रशासन से नहीं मिला।
परी अखाड़ा प्रमुख त्रिकाल भवंता ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि कोर्ट में पुरुष अखाड़ा समान सुविधाएं देने, सुरक्षा और अमृत स्नान समय निर्धारण के लिए याचिका लगाई थी। प्रशासन ने समय नहीं दिया।
उनका कहना था कि हमने 13 अखाड़ों के साथ स्नान करने के लिए समय नहीं मांगा था। हमारी मांग थी कि जब सब अखाड़ा स्नान कर ले तब उन्हें अमृत स्नान का समय और महिला संतों को सुरक्षा प्रदान की जाए।
मेला प्रशासन ने महिला संतों का नहीं बल्कि नारी जगत का अपमान किया है। एक और सरकार महिलाओं को प्राथमिकता देने की तरफदारी करती है किंतु महिला संतों के साथ सरकार का चेहरा अलग ही
है। अखाड़ा पूरे देश में जनजागरण कर बताएगा कि महिला संतों के साथ कैसा व्यवहार किया जा रहा है।
10 उपपीठ बनेंगे
भवंता ने कहा कि परी अखाड़ा में 10 उपपीठ बनाई जाएगी। इसमें 10 महामंडलेश्वरों की नियुक्ति होगी। महिलाओं को वेदपाठी और पुजारी बनाने के लिए जनआंदोलन चलाएंगे। उनका कहना है कि वे महिला संतों के लिए कानून की लड़ाई आखिरी दम तक लड़ेगी। इलाहाबाद में आने वाले अर्द्धकुंभ और कुंभ की रणनीति भी बनाई जा रही है।