क्या आप जानतें हैं आखिर क्यों नहीं होती ब्रह्मा की पूजा
ऐसे में माना गया कि ब्रह्मा की पूजा नहीं कर सकते, क्योंकि भगवान कभी भयभीत नहीं हो सकते। भगवान तो वे हैं, जो भय को दूर करते हैं।
ब्रह्मा के मंदिर नाम मात्र के हैं। पुष्कर में उनका मंदिर है, तो दक्षिण में कुंभकोणम में एक छोटा-सा मंदिर है। दरअसल, ब्रह्मा की पूजा की कोई परंपरा नहीं है। इसके पीछे कई पौराणिक कहानियां हैं। शैव परंपरा की कहानी के अनुसार, ब्रह्मा और विष्णु के बीच बहस होती रहती है, जिसमें वे दोनों अपने को पूजा का पात्र बताते हैं।
एक बार ब्रह्मा, विष्णु के आवास पर पहुंचे तो विष्णु उनके स्वागत के लिए खड़े भी नहीं हुए। इस बात पर ब्रह्मा बहुत क्रोधित हो गए। दोनों के बीच युद्ध होने लगा। तब शिव प्रकट हुए और दोनों के बीच एक अनादि-अनंत अग्निस्तंभ का रूप ले लिया। निर्णय हुआ कि जो स्तंभ के अंतिम सिरे तक पहुंचेगा, वही महान माना जाएगा। ब्रह्मा राजहंस बनकर स्तंभ की ऊंचाई की ओर और विष्णु वराह रूप में पाताल की ओर निकल पड़े। अंतत: ब्रह्मा ने स्तंभ के ऊपरी छोर तक पहुंचने का दावा किया, लेकिन शिवजी ने झूठ का पता लगा
लिया। उन्होंने जब ब्रह्मा को दंड देना चाहा तो ब्रह्मा क्षमा-याचना करने लगे। तभी शिव ने ब्रह्मा को शाप
दिया कि आपने स्वयं को पूजनीय बनाने के लिए झूठ का सहारा लिया और इसी कारण आप किसी के द्वारा
पूजे नहीं जाएंगे।
वैष्णव परंपरा की कहानी के अनुसार, विष्णु जब सो रहे थे, तब प्रलय थी। जब वे जागे तो सृष्टि की स्थापना हुई। उनकी नाभि से एक कमल का फूल निकला, उसके अंदर ब्रह्मा बैठे हुए थे। जब ब्रह्मा ने पहली बार दुनिया को देखा तो भयभीत हो गए। विष्णु ने उन्हें संभाला। ऐसे में माना गया कि ब्रह्मा की पूजा नहीं कर सकते, क्योंकि भगवान कभी भयभीत नहीं हो सकते। भगवान तो वे हैं, जो भय को दूर करते हैं।