Move to Jagran APP

शुरू हो गया माहे रमजान 16 तारीख से शुरू होंगे रोजे जाने इस मुबारक महीने से जुड़ी ये खास बातें

इस माह की 16 तारीख से मुस्‍लिम समुदाय के पवित्र माहे रमजान में रखे जाने वाले व्रतों यानि रोजों की शुरूआत हो जायेगी जो पूरे 30 दिन चलेंगे।

By Molly SethEdited By: Published: Tue, 15 May 2018 03:30 PM (IST)Updated: Wed, 16 May 2018 09:30 AM (IST)
शुरू हो गया माहे रमजान 16 तारीख से शुरू होंगे रोजे जाने इस मुबारक महीने से जुड़ी ये खास बातें
शुरू हो गया माहे रमजान 16 तारीख से शुरू होंगे रोजे जाने इस मुबारक महीने से जुड़ी ये खास बातें

16 से रोजे शुरू

loksabha election banner

मुस्‍लिम समुदाय का पवित्र महीना रमजान शुरू हो रहा है। मुस्‍लिम धर्म गुरूओं के अनुसार बुधवार 15 तारीख को चांद दिखने की संभावना है जिसके बाद 16 तारीख से एक महीने तक चलने वाले व्रतों जिन्‍हें रोजा कहा जाता है, कि शुरूआत हो जायेगी। ये रोजे अगले माह की 16 या 17 तारीख तक चलेंगे जिस दिन ईद उल फतर मनाया जायेगा। रमज़ान इस्लामी कैलेण्डर का नवां महीना होता है। मुस्लिम समुदाय में महीने को अत्‍यंत पवित्र माना जाता है। रमजान के महीने को नेकियों यानि सद्कार्यों का महीना भी कहा जाता है, इसीलिए इसे मौसम-ए-बहार बुलाते हैं। इस पूरे महीने में मुस्‍लिम संप्रदाय से जुड़े लोग अल्लाह की इबादत करने में ध्‍यान लगाते हैं। इस महीने में वे भगवान या खुदा को खुश करने और उनकी कृपादृष्‍टि पाने के लिए पूजा, व्रत के साथ, कुरआन का पाठ और दान धर्म करते हैं।

माहे रमजान में है इन कार्यों का महत्‍व 

रमजान के पूरे महीने रोज़े (व्रत) रखना अत्‍यंत शुभ माना जाता है।

रोजों के दौरान रात में तरावीह की नमाज़ पढना और क़ुरान तिलावत यानि पाठ करना अच्‍छा होता है। 

एतेकाफ़ पर बैठना, यानी अपने आस पड़ोस और प्रियजनों के उत्‍थान व कल्याण के लिये अल्लाह से दुआ करते हुये मौन व्रत रखना भी इसकी खासियत है।

इस माह में दान पुण्‍य का भी अत्‍यंत महत्‍व होता है जिसे ज़कात करना कहते हैं। 

क्‍या हैं इस महीने की विशेषताएं

इस महीने की सबसे बड़ी खासियत है भगवान की दी हर नेमत के लिए अल्लाह का शुक्र अदा करना। इसीलिए जब महीना गुज़रने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद उल फितर आता है तो उसे मनाने में विशेष आनंद आता है।

इस महीने दान पुण्य के कार्यों करने को प्रधानता दी जाती है। इसीलिये इस मास को नेकियों और इबादतों का महीना कहा जाता है।

मुस्‍लिम मान्‍यताओं के अनुसार इस महीने की 27वीं रात शब-ए-क़द्र को क़ुरान का नुज़ूल  यानि अवतरण हुआ था। यही कारण है इस महीने में क़ुरान पढना बेहद शुभ होता है। 

इस माह हर रात तरावीह की नमाज़ में कुरान का पाठ किया जाता है। जो लोग कुरान पढ़ नहीं सकते वे इसे सुन कर पुण्‍य लाभ ले सकते हैं। 

रोजों के दौरान सूर्योदय से पहले ही निर्धारित समय में जो कुछ भी खाना पीना है उसे पूरा कर लिया जाता है जिसे सहरी कहते हैं। इसके बाद दिन भर न कुछ खाते हैं न पीते हैं। इसके बाद शाम को सूर्यास्त के बाद एक तय समय पर रोज़ा खोलतें हैं और तभी कुछ खाते पीते हैं। इस समय को इफ़्तारी कहते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.