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जानें राम लला के दरबार में कैसे मनाई जाती है दिवाली

देश में जब राज्‍यों की सीमाएं बदलती है तो परंपरायें भी बदलती है। हर प्रांत के अपने रीति-रिवाज होते हैं। दिवाली में हर जगह पर नए अंदाज में मनाई जाती है पर अयोध्‍या में आज भी सदियों पुरानी परंपरा कायम है।

By Prabhapunj MishraEdited By: Published: Wed, 18 Oct 2017 11:33 AM (IST)Updated: Wed, 18 Oct 2017 11:33 AM (IST)
जानें राम लला के दरबार में कैसे मनाई जाती है दिवाली
जानें राम लला के दरबार में कैसे मनाई जाती है दिवाली

रामलला में सदियों से चली आ रही है परंपरा

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अयोध्‍या में आज भी दिवाली पूजन की वही परंपरा कायम है जैसी सदियों पहले हुआ करती थी। यहां दिवाल से पहले मंदिरों की सफाई के साथ भगवान को भी विशेष तौर पर नहला-धुलाकर तैयार किया जाता है। नए कपड़े सिलवाए जाते हैं। उनके लिए नए आभूषण बनाए जाते हैं। अयोध्‍या के सभी मंदिरों में सिर्फ और सिर्फ मिट्टी के दिए ही जलाए जाते हैं। अयोध्‍या के घरों और मंदिरों में शुद्ध रूई से बनी हुई बाती से दिए जलाए जाते हैं। श्री राम जन्‍म भूमि के मुख्‍य आचार्य सत्‍येंद्र दास बताते हैं कि राम जन्‍मभूमि विवादित परिसर में विराजमान राम लला के गर्भ गृह में हर वर्ष दिवाली की विशेष पूजा होती है। 

मिट्टी के दिए जलाए जाते हैं

इस अवसर पर रामलला समेत आयोध्‍या के 6000 से भी अधिक छोटे-बड़े मंदिरों में भगवान के गर्भगृह में मिट्टी के दीप जलाए जाते हैं। ऐसी मान्‍यता है कि धरती माता की कोख से निकली मिट्टी के बने दिए के प्रकाश से ही धन-धान्‍य और संपदा बरसती है। दियों की रोशनी से अंधकार का नाश होता है। इस मौके पर भगवान का विशेष श्रंगार किया जाता है। उन्‍हें नए वस्‍त्र-आभूषण पहनाए जाते हैं। भगवान को पहनाने वाले वस्‍त्रों का चुनाव महीनेभर पहले ही हो जाता है। देश-विदेश से भगवान के वस्‍त्रों के लिए आग्रह आता है। यहां भक्‍तों से चढ़ावे के रूप में मिले वस्‍त्र और आभूषण ही भगवान को पहनाए जाते हैं। 

 

दिवाली के दिन रामलला का होता है विशेष श्रंगार

राम वल्‍लभा कुंज के मुख्‍य अधिकारी राजकुमार दास जी महाराज के अनुसार सदियों से ही मंदिरों में दिवाली पर भगवाना विशेष श्रंगार किया जाता है। उन्‍हें तरीह-तरह के वस्‍त्र पहनाए जाते हैं। पकवानों का भोग लगता है। राम दरबार में शुद्ध घी के दीपक जलाए जाते हैं। भगवान के सामने फुलझड़ी और आतिशबाजी की जाती है। इसके बाद वहां मौजूद भक्‍त गर्भगृह को छोड़ कर पूरे मंदिर में दीप जलाते हैं। 


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