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Chhath Puja 2020 Katha: सीता जी और द्रौपदी ने भी रखा था छठ व्रत, पढ़ें इस पूजा से जुड़ी 3 प्रचलित कथाएं

Chhath Puja 2020 हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा की जाती है। इस वर्ष यह 20 नवंबर को है। इस दिन महिलाएं सूर्य देव की आराधना करती हैं और संतान के सुखी जीवन की कामना करती हैं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 09:20 AM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2020 02:25 PM (IST)
Chhath Puja 2020 Katha: सीता जी और द्रौपदी ने भी रखा था छठ व्रत, पढ़ें इस पूजा से जुड़ी 3 प्रचलित कथाएं
Chhath Puja 2020: द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत, पढ़ें इस पूजा से जुड़ी 3 प्रचलित कथाएं

Chhath Puja 2020: हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा की जाती है। इस वर्ष यह 20 नवंबर को है। इस दिन महिलाएं सूर्य देव की आराधना करती हैं और संतान के सुखी जीवन की कामना करती हैं। भारत में छठ पूजा का प्रारंभ षष्ठी से दो दिन पहले यानी चतुर्थी तिथि को होता है। फिर षष्ठी तिथि तक व्रत रहकर सप्तमी तिथि पर व्रत का पारण किया जाता है। बता दें कि छठ पूजा 4 दिनों की होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्रौपदी ने भी छठ का व्रत किया था। छठ पूजा से संबंधित और भी कई कथाएं हैं जिनमें से कुछ हम आपको आज इस लेख के जरिए बता रहे हैं। आइए पढ़ते हैं यह कथाएं।

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1- एक पौराणिक लोककथा के अनुसार, जब श्री राम ने लंकापति रावण पर विजय प्राप्त की थी। तब राम राज्य की स्थापना के बाद माता सीता और श्री राम ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी को उपवास किया था। साथ ही सूर्यदेव की आराधना की थी। फिर सप्तमी तिथि को सूर्योदय के समय दोनों ने दोबारा अनुष्ठान किया और सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया।

2- एक पौराणिक कथा के अनुसार, द्रौपदी ने भी छठ पूजा का व्रत रखा था। द्रौपदी, पांचों पांडवों की पत्नी थी। कथा के अनुसार, द्रौपदी ने भी सूर्यदेव की पूजा की थी। द्रौपदी नियमित रूप से अपने परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना और लंबी उम्र के लिए सूर्य पूजा करती थीं।

3- एक अन्य पौराणिक के अनुसार, इस व्रत की शुरुआत महाभारत के समय से हुई थी। उस समय सबसे पहले सूर्यदेव की पूजा सूर्य पुत्र कर्ण ने की थी। कर्ण हर दिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते थे। सूर्यदेव की कृपा से ही वो एक महान योद्धा बने। तब से अब तक छठ पूजा के दौरान सूर्य को अर्घ्य की प्रथा चली आ रही है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '  


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