Chandra Grahan 2020: चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें और किन चीज़ों से बचें, जानें यहां
Chandra Grahan 2020 चंद्र ग्रहण हो या सूर्य ग्रहण लोगों की मान्यता है कि इस दौरान कई तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए। तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
चंद्र ग्रहण भारतीय समय के अनुसार 5 जून रात्रि 11 बजकर 16 मिनट से ग्रहण शुरू हो जाएगा और अगली तारीख 6 जून की रात 2 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। रात 12 बजकर 54 मिनट पर यह अपनी पूर्ण स्थिति में होगा। चंद्र ग्रहण एक अशुभ घटना है। जिस दौरान लोग कई तरह की सावधानियां बरततें हैं। तो आइए जानते हैं ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या नहीं।
ग्रहण काल में क्या न करें
1. ग्रहण के समय तेल लगाना, भोजन करना, जल पीना, सोना, बाल बनाना, संभोग करना, मंजन करना, कपड़े धोना, ताला खोलना आदि नहीं करना चाहिए।
2. ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने सालों तक नरक में वास करता है।
3. ग्रहण के दौरान सोने से व्यक्ति रोगी होता है। मल त्यागने से पेट में कृमि रोग, मालिश या उबटन लगाने से कुष्ठ रोग और स्त्री प्रसंग से अगले जन्म में सूअर की योनि मिलती है।
4. चंद्र ग्रहण में तीन प्रहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए (1 प्रहर = 3 घंटे)। बूढ़े, बालक और रोगी एक प्रहर पूर्व खा सकते हैं।
5. ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ना चाहिए।
6. स्कंद पुराण के अनुसार, ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से 12 वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है।
7. ग्रहण के समय कोई भी शुभ या नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
ग्रहण काल में क्या करें
1. ग्रहण लगने से पूर्व स्नान करके भगवान का पूजन, यज्ञ और जप करना चाहिए।
2. भगवान वेदव्यास जी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्य ग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है।
3. ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।
4. ग्रहण समाप्त हो जाने पर स्नान करके उचित व्यक्ति को दान करने का विधान है।
5. ग्रहण के बाद पुराना पानी और अन्न नष्ट कर देना चाहिए। नया भोजन पकाया जाता है और ताजा पानी भरकर पीया जाता है।
6. सूर्य या चन्द्र ग्रहण पूरा होने पर उसका शुद्ध बिम्ब देखकर ही भोजन करना चाहिए।
7. ग्रहण काल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि के लिए उसे बाद में धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए।
8. ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरत मंदों को वस्त्र दान देने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।