चंद्र ग्रहण 2018: एक नजर में जाने लेखा जोखा समय और प्रभाव, ऐसे होगा असर कम
31 जनवरी 2018 के पूर्ण चंद्र ग्रहण की पूरी जानकारी के साथ क्या होगा ग्रहण का असर और कैसे करें इसके प्रभाव को कम समझें पंडित विजय त्रिपाठी विजय से।
By Molly SethEdited By: Published: Tue, 30 Jan 2018 10:27 AM (IST)Updated: Wed, 31 Jan 2018 11:58 AM (IST)
खग्रास ग्रस्तोदय चन्द्रग्रहण
31 जनवरी 2018 बुधवार को माघ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर खग्रास चन्द्रग्रहण लग रहा है। यह ग्रहण सम्पूर्ण भारत में दृश्य होगा। भारत के अलावा यह एशिया, रूस, मंगोलिया, जापान, आस्ट्रेलिया, आदि में चंद्रोदय के समय प्रारंभ होगा तथा उत्तरी अमेरिका, कनाडा, पनामा के कुछ भागों में चन्द्रास्त के समय ग्रहण का मोक्ष दृष्टिगोचर होगा। भारतीय मानक समय के अनुसार पूर्वोत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों असम, मेघालय, बंगाल, झारखण्ड, बिहार में खण्डग्रास चन्द्रग्रहण का स्पर्श सायं 5 बज कर 19 से तथा मोक्ष रात्रि 8 बज कर 43 पर होगा। खग्रास चन्द्रग्रहण की कुल अवधि 01 घंटा 17 मिनट तथा चन्द्रग्रहण की कुल अवधि 03 घंटा 24 मिनट की होगी। इस चन्द्रग्रहण का स्पर्श सायं 05 बजकर 19 मिनट पर होगा, ग्रहण का मध्य सायं 07 बजकर 01 मिनट पर तथा ग्रहण का मोक्ष रात्रि 08 बजकर 43 मिनट पर होगा।
ग्रहण का असर
यह ग्रहण पुष्य व आश्लेषा नक्षत्र एवं कर्क राशि पर पड़ेगा। अतः जन्म से व पुकारने के नाम से जिन लोगों का पुष्य व आश्लेषा नक्षत्र एवं कर्क राशि हो उनको एवं गर्भवती महिलाओं को यह ग्रहण नहीं देखना चाहिए। चन्द्र ग्रहण का सूतक 31 जनवरी 2018 बुधवार को प्रातः 08 बज कर 19 मिनट से लग जायेगा। बालक-बूढ़े और रोगी ग्रहण प्रारंभ होने की अवधि तक पथ्याहार ले सकते है। ग्रहण के सूतक काल में भोजन, शयन, मूर्ति स्पर्श, हास्य विनोद नहीं करना चाहिए। ग्रहण में स्नान करते समय कोई मंत्र आदि नहीं बोलना चाहिए। घर में जनन सूतक या मरण पातक होने पर भी ग्रहणपरक स्नानादि कृत्य करने चाहिए। ग्रहण काल में गुरूदीक्षा लेने से मुहूर्त की आवश्यकता नहीं रह जाती।
ग्रहण का प्रभाव कैसे करें कम
जिन राशि वालों को ग्रहण का फल है, उन्हें यह ग्रहण कदापि नहीं देखना चाहिए। पंडित जी ने बताया कि जिन राशियों के लिए यह ग्रहण अशुभ सूचक है, वह थोड़ा गंगा जल और एक चांदी का छोटा सा टुकड़ा एक माह (क्योंकि ग्रहण का असर एक माह रहता ही है) तक अपने पास रखें, इससे शुभता की प्राप्ति होगी। ग्रहण स्पर्श के समय स्नान, ग्रहण मध्य के समय जप, श्राद्ध, तर्पण, हवनादि करने से सामान्य दिनों की अपेक्षा हजार गुणा अधिक फल की प्रप्ति होती है। जब ग्रहण कम होने लगे उस समय यथाशक्ति दान देना चाहिए। ग्रहण मोक्ष होने पर पुनः स्नान करना चाहिए।
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