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Chanakya Niti: किन पांच स्थानों पर निवास करना है नर्क में रहने के समान, जानिए आचार्य कौटिल्य से

Chanakya Niti आचार्य चाणक्य की गणना विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में की जाती है। उन्होंने शिक्षक और मार्गदर्शक के रूप में अनेकों युवाओं का मार्गदर्शन किया जाता। आइए जानते हैं किन पांच स्थानों पर रहने से व्यक्ति को करना पड़ सकता है मुसीबतों का सामना?

By Shantanoo MishraEdited By: Published: Mon, 03 Oct 2022 07:07 PM (IST)Updated: Mon, 03 Oct 2022 07:07 PM (IST)
Chanakya Niti: किन पांच स्थानों पर निवास करना है नर्क में रहने के समान, जानिए आचार्य कौटिल्य से
Chanakya Niti: चाणक्य नीति के ज्ञान से व्यक्ति बिना किसी सहायता के सफलता प्राप्त कर सकता है।

 नई दिल्ली, Chankya Niti: आचार्य चाणक्य को विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में गिना जाता है। उन्होंने अपने जीवन काल में कई महत्वपूर्ण नीतियों का निर्माण किया था जिनका सदुपयोग आज भी अनेकों युवा करते हैं। इन नीतियों में 'जीवन में सफलता कैसे हासिल की जाए' इस विषय को विस्तार से बताया गया है। आचार्य चाणक्य को ना केवल राजनीति, कूटनीति और युद्धनीति का ज्ञान था बल्कि उन्हें जीवन के विभिन्न विषयों को का भी विस्तृत ज्ञान था। यह बात इसलिए भी सिद्ध होती है क्योंकि उनके ही नीतियों (Chanakya Niti in Hindi) के कारण पाटलिपुत्र में मौर्य वंश की स्थापना हुई थी। चाणक्य नीति के माध्यम से आचार्य ने यह भी बताया है कि किस तरह के स्थान पर रहने से, कैसा व्यवहार करने से व्यक्ति जीवन में सफलता हासिल कर सकता है। आइए इसी विषय को चाणक्य नीति के इस भाग में जानते हैं।

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Chanakya Niti: चाणक्य नीति के अनुसार इन 5 स्थानों पर निवास करना है मुर्खता

लोकयात्रा भयं लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता ।

पञ्च यत्र न विद्यन्ते न कुर्यात्तत्र संगतिम् ।।

अर्थात- जिस स्थान पर आजीविका या नौकरी ना मिले, लोगों में डर या लज्जा न हो। उदारता तथा दान देने की प्रवृत्ति ना हो ऐसे किसी भी पांच स्थान पर रहना मनुष्य के लिए उचित नहीं है।

चाणक्य नीति के इस श्लोक में आचार्य ने बताया है कि व्यक्ति को किन पांच स्थानों पर नहीं रहना चाहिए। सबसे पहले उन्होंने बताया है कि जिस स्थान पर आजीविका या नौकरी ना मिले वह स्थान रहने के लिए उचित नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां धन अर्जित करने का कोई साधन नहीं है। इसके साथ जहां लोगों को भय और लज्जा ना हो वहां भी रहना एक सज्जन व्यक्ति के लिए उचित नहीं है। क्योंकि इन परिस्थितियों में वह अपने परिवार और स्वयं को भी इसी प्रवृत्ति में ढकेलता हुआ चला जाएगा। आगे आचार्य चाणक्य बता रहें हैं कि जहां पर उदार और दान देने की प्रवृत्ति लोगों में ना हो वह स्थान भी एक मनुष्य के लिए नर्क के समान है। ऐसा इसलिए क्योंकि विपत्ति के समय आपकी मदद करने के लिए कोई आगे नहीं आएगा। इसलिए किसी भी स्थान पर निवास करने से पहले इन सभी बिंदुओं को ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है।

डिसक्लेमर

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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