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होली पर मनाते हैं महाचाट सम्मेलन

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में होली मनाने का अंदाज बिल्कुल जुदा है। यहां छात्र सामूहिक होली तो खेलते ही हैं, साथ ही महाचाट सम्मेलन का आयोजन होता है। पिछले 30 साल से जेएनयू में यह सम्मेलन मनाया जा रहा है। होली के एक दिन पहले वाली रात को शुरू होने वाले सम्मेलन के लिए छात्र दिनभर तैयारी करते हैं। इसके बाद रात

By Edited By: Published: Tue, 18 Mar 2014 02:26 PM (IST)Updated: Tue, 18 Mar 2014 02:31 PM (IST)
होली पर मनाते हैं महाचाट सम्मेलन

नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में होली मनाने का अंदाज बिल्कुल जुदा है। यहां छात्र सामूहिक होली तो खेलते ही हैं, साथ ही महाचाट सम्मेलन का आयोजन होता है। पिछले 30 साल से जेएनयू में यह सम्मेलन मनाया जा रहा है। होली के एक दिन पहले वाली रात को शुरू होने वाले सम्मेलन के लिए छात्र दिनभर तैयारी करते हैं। इसके बाद रात 9 बजे से यह सम्मेलन शुरू होता है, जो रातभर चलता है।

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विश्वविद्यालय के एक पदाधिकारी ने बताया कि वर्ष 1983 से निराले ढंग से मनाई जाने वाली इस महाचाट होली को लेकर छात्रों को इंतजार रहता है। कई छात्र लुत्फ उठाने के लिए छुट्टियों में अपने घर नहीं जाते हैं।

कैसे मनाया जाता है सम्मेलन- महाचाट सम्मेलन मनाने के लिए छात्रों के दो समूह बनते हैं, जिसमें कुंवारा और कुंवारी का चयन होता है। इसमें ताप्ती छात्रवास से गधे, घोड़े, खच्चर पर बरात निकाली जाती है। ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचते-गाते बराती डोलम छात्रवास में पहुंचते हैं। जहां कुंवारी की टीम बरातियों का स्वागत फूल-माले की जगह टूटी चप्पलों, कूड़ा-करकट, पुराने डिब्बों से बनी मालाएं पहनाकर स्वागत करते हैं।

उबाऊ भाषण देते हैं प्रतियोगी छात्र- स्वागत के बाद झेलम छात्रवास के लॉन में महाचाट सम्मेलन शुरू होता है। यहां पर पूरे साल की गतिविधियों को कविता, हास्य व्यंग और शायरी के साथ परोसा जाता है। महाचाट बनने को प्रतियोगी छात्र उबाऊ भाषण देते हैं।


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