Vaishakhi Purnima 2019: इस तिथि से जुड़ी हैं गौतम बुद्ध के जीवन की 3 बड़ी घटनाएं, जानें इस दिन दान का महत्व
भगवान बुद्ध का जन्म ज्ञान प्राप्ति (बुद्धत्व या संबोधि) और महापरिनिर्वाण ये तीनों एक ही दिन अर्थात् वैशाखी पूर्णिमा के दिन ही हुए थे।
वैशाख मास में 'वैशाखी पूर्णिमा' बड़ी पवित्र तिथि है। इस दिन दान धर्मादि के अनेक कार्य किए जाते हैं, जो इस वर्ष शनिवार 18 मई को पड़ रही है। 'वैशाखी पूर्णिमा' बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। बौद्ध धर्म में इसका खास महत्व है।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बुद्धत्व या संबोधि) और महापरिनिर्वाण ये तीनों एक ही दिन अर्थात् वैशाखी पूर्णिमा के दिन ही हुए थे। ऐसा किसी अन्य महापुरुष के साथ आज तक नहीं हुआ है। बौद्ध लोग इस तिथि को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से मनाते हैं।
हिन्दुओं में 'वैशाखी पूर्णिमा' का महत्व
विद्याओं में वेद-विद्या, मन्त्रों में प्रणव, वृक्षों में कल्पवृक्ष, धेनुओं में कामधेनु, देवताओं में विष्णु, प्रिय वस्तुओं में प्राण, नदियों में गंगा जी, तेजों में सूर्य उत्तम है, वैस ही धर्म के साधनभूत महीनों में वैशाख मास सबसे उत्तम है।
वैशाख मास में प्याऊ की स्थापना, शिवलिंग पर जलधारा की स्थापना, जूता-चप्पल-छाता का दन, वस्त्र दान, चन्दन दान, शीतल जल का पूर्ण पात्र दान करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति होती है।
जो व्यक्ति वैशाख मास में पूरे दिन धर्म कार्य न कर पाया हो वो केवल 'वैशाखी पूर्णिमा' को कर दे, तो उसे सम्पूर्ण वैशाख मास का फल मिल जाता है।
'वैशाखी पूर्णिमा' को दान का महत्व
1. धर्मराज के निमित्त जलपूर्ण कलश और पकवान देने से गोदान के समान फल होता है।
2. यदि 5 या 7 ब्राह्मणों को शर्करा सहित तिल दान करने से सब पापों का क्षय हो जाता है।
3. यदि तिलों के जल से स्नान करके घी, चीनी और तिलों से भरा हुआ पात्र विष्णु भगवान को अर्पित करें और उन्ही से अग्नि में आहुति दें अथवा तिल और शहद का दान करें, तिल के तेल के दीपक जलाएं, जल और तिलों का तर्पण करें अथवा गंगादि में स्नान करें तो सब पापों से मुक्ति मिल जाती है।
4. यदि इस दिन एक समय भोजन करके पूर्णिमा, चन्द्रमा अथवा सत्यनारायण का व्रत करें तो सब प्रकार के सुख, सम्पदा और श्रेय की प्राप्ति होती है।
— ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र
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