उड़ा गुलाल, आसमां लाल
बांके बिहारी तेरी एक छवि निहारी, पीरी या कारी। यह कुछ समझ नहीं आया। रंगभरनी एकादशी पर बुधवार को बांकेबिहारी मंदिर में रंग बरसे और गुलाल उड़ा तो बादलों से ढका आसमां लाल हो गया। श्रीजी धाम की छटा अलौकिक नजर आने लगी। देसी-विदेशी सभी भक्त ठाकुर जी के रंग में रंगे थिरक रहे थे। प्रभु और भक्त के बीच दूरी
वृंदावन। बांके बिहारी तेरी एक छवि निहारी, पीरी या कारी। यह कुछ समझ नहीं आया। रंगभरनी एकादशी पर बुधवार को बांकेबिहारी मंदिर में रंग बरसे और गुलाल उड़ा तो बादलों से ढका आसमां लाल हो गया। श्रीजी धाम की छटा अलौकिक नजर आने लगी। देसी-विदेशी सभी भक्त ठाकुर जी के रंग में रंगे थिरक रहे थे। प्रभु और भक्त के बीच दूरी नहीं थी। कलश और पिचकारी की धार में सब रंग से सराबोर थे।
मंदिर के प्रांगण का नजारा स्वर्ग सरीखा था। 'हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की और बांकेबिहारी की जय' के जयघोष हर पल गूंज रहे थे। श्रद्धालुओं पर रंग, गुलाल की बरसात हो रही थी। रंग से भीगे श्रद्धालु फूल, माला और प्रसाद को उत्साह से लपक रहे थे। गोस्वामी भक्तों व हुरियारों पर कलश और पिचकारी से तरह-तरह के रंगों की बरसात कर रहे थे। श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते गोस्वामी समाज को बार-बार टेसू के फूलों से रंगों की आपूर्ति करनी पड़ रही थी। एकादशी के दिन श्रीबांकेबिहारी मंदिर में प्रवेश करने वालों पांचों द्वारों पर श्रद्धालुओं व हुरियारों का तांता लगा रहा। शाम होते ही इत्र, केसर, गुलाल, चंदन, चोबा, टेसू के फूलों के रंग व गुलाब के फूलों से ठाकुरजी ने होली खेली। 1मंदिर परिसर में हजारों की संख्या में मौजूद श्रद्धालु, हुरियारे बच्चे, बुजुर्ग, युवक-युवतियों पर सतरंगी बरसात हो रही थी। श्रद्धालु हों या हुरियारे सबके हाथों में रंग, गुलाल, फूल, माला थी। हर कोई एक-दूसरे पर गुलाल-फूल बरसा कर होली का स्वागत कर रहा था। इस अलौकिक दृश्य को हर कोई कैमरे और मोबाइल में कैद करने में लगा था।
करीब एक घंटे तक गुलाल और फूलों की होली के बाद टेसू फूलों के रंग की होली शुरू हो गई। इसे कलशामें भर-भर के श्रद्धालुओं तथा हुरियारों पर बरसाया गया। गोस्वामी समाज परंपरागत पीतल की पिचकारी से रंगों की बौछार कर रहा था।
वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में रंगभरनी एकादशी पर शाम को शुरू हुई रंगीली होली। श्रद्धालुओं को होली के रंग में तरबतर कर फूल उड़ाते मंदिर सेवायत। दूसरे चित्र में श्रीराधाबल्लभ लालजी का डोला निकालने के दौरान सेवायत रथ से सप्त रंगों की बौछार करते हुए।
श्रीगोदा हरिदेव दिव्यदेश मंदिर के ब्रह्मोत्सव के तहत बुधवार को नगर में रथ यात्र निकली गई। रथ पर सवार श्रीगोदा हरिदेव की एक झलक पाने को स्थानीय और विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालु लालायित रहे। इस दौरान श्रद्धालु रथ की सवारी के आगे नृत्य करते चल रहे थे। सवारी बड़े बगीचा, ज्ञानगूदड़ी से वापस मंदिर पहुंची। रास्ते में यात्रा का जोरदार स्वागत किया गया। श्रद्धालुओं ने रथ को खींचकर पुण्य कमाया। इस दौरान विभिन्न राज्यों के श्रद्धालु भी रथ की सवारी में विराजमान श्रीगोदा हरिदेव को निहारते दिखे।