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Bhagwat Gita: सफलता के लिए अपने जीवन में अपनाएं भागवत गीता के ये सूत्र, दूर होगी हर निराशा

हर व्यक्ति जीवन में सफलता हासिल करना चाहता है। श्रीमद् भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने ऐसी अनेक बातें बताई हैं जिन्हें हम जीवन में अपनाकर अपने जीवन को सफल बना सकते हैं। तो आइए जानतें है क्या वे बहुमूल्य बातें।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiPublished: Wed, 24 May 2023 01:49 PM (IST)Updated: Wed, 24 May 2023 01:49 PM (IST)
Bhagwat Gita: सफलता के लिए अपने जीवन में अपनाएं भागवत गीता के ये सूत्र, दूर होगी हर निराशा
Bhagwat Gita सफलता के लिए अपने जीवन में अपनाएं भागवत गीता के ये सूत्र

नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क। Bhagwat Gita: महाभारत के युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बहुमूल्य बातें बताई थी। उनके द्वारा दिए गए यह उपदेश भगवत गीता में निहित हैं। गीता में उन सभी मार्गों की चर्चा की गई है जिन पर चलकर मोक्ष, बुद्धत्व, कैवल्य या समाधि प्राप्त की जा सकती है।

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योजना बनाने का क्या है महत्व

अगर कोई व्यक्ति योजना के तहत काम करता है तो उसे जीवन में सफलता जरूर मिलती है। इसलिए श्रीकृष्ण कहते हैं कि किसी भी काम को करने से पहले एक योजना जरूर बनाएं। इससे आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।

सोच-समझकर चुने संगति

अपने जीवन में हमेशा सोच-समझकर लोगों को चुनना चाहिए। क्योंकि संगति का हमारे जीवन पर बहुत असर पड़ता है। भले ही आप अच्छे हों लेकिन आपके साथी अच्छे नहीं है तो आपको बर्बाद होते देर नहीं लगेगी। महाभारत में ही इसका उदाहरण मौजूद है। दुर्योधन हमेशा अपने मामा के बताए रास्ते पर चला, जिसके कारण एक दिन उसका पूरा राजपाट चौपट हो गया।

अधूरा ज्ञान होता है खतरनाक

ज्ञान न होना हानिकारक है, लेकिन अधूरा ज्ञान होना उससे भी ज्यादा हानिकारक है। क्योंकि कम ज्ञान वाले व्यक्ति बेवजह हर काम में टांग अड़ाते रहते हैं। इसलिए श्री कृष्ण कहते हैं कि किसी भी काम की पूरी जानकारी के बाद ही उसे शुरू करें। वरना व्यक्ति उपहास का पात्र बन जाता है।

इस बात का रखें ख्याल

आज के समय में किसी पर आंख बंद करके विश्वास करना मूर्खता है। सोच-समझकर अपने दोस्तों का चुनाव करें। इस विषय पर भगवान श्रीकृष्ण भी कहते हैं कि हमेशा जांच परख कर ही अपना मित्र चुनना चाहिए। क्योंकि मित्र एक ऐसा व्यक्ति होता है जिस आपके सारे राज पता होते हैं।

क्या है खुश रहने का सूत्र

भगवान श्री कृष्ण ने मन को मित्र और शत्रु दोनों ही बताया है। जो व्यक्ति मन को नियंत्रित नहीं रखता वह उसके लिए शत्रु का काम करता है। साथ ही भगवान ने यह भी कहा है कि इस दुनिया में खुश रहने का एक ही सूत्र है और वह है इच्छाओं का कम होना।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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