महाकुंभ से पहले चारों दिशाओं में बनें द्वार
सिंहस्थ महाकुंभ से पहले शहर की चारों दिशाओं में चार भव्य और आकर्षक द्वार बनाने की मांग संतों ने उठाई है। उनका कहना है कि द्वारों का नामकरण 84 महादेव के नाम पर किया जाए। स्थानीय श्री रामादल अखाड़ा परिषद पिछले दो साल से मुख्यमंत्री से लेकर संभागायुक्त, कलेक्टर आदि
उज्जैन। सिंहस्थ महाकुंभ से पहले शहर की चारों दिशाओं में चार भव्य और आकर्षक द्वार बनाने की मांग संतों ने उठाई है। उनका कहना है कि द्वारों का नामकरण 84 महादेव के नाम पर किया जाए। स्थानीय श्री रामादल अखाड़ा परिषद पिछले दो साल से मुख्यमंत्री से लेकर संभागायुक्त, कलेक्टर आदि को ज्ञापन देकर सिंहस्थ के पूर्व शहर की चारों दिशाओं में चार द्वार बनाने की मांग उठाती रही है।
संतों का कहना है कि उज्जयिनी में प्राचीनकाल में चारों दिशाओं में चार द्वारों पर द्वारपाल हुआ करते थे। उज्जयिनी नगरी 9 कोस चौड़ी व 13 कोस लंबी थी। इसी में पंचक्रोशी यात्रा भी निकलती है। पंचक्रोशी यात्रा परिक्रमा मार्ग की चारों दिशाओं में चार द्वार बनाए जाएं। ये द्वार महामृत्युंजय द्वार की तरह भव्य बनाए जाएं।
84 महादेव के नाम पर हों
संतों ने निर्मित किए जाने वाले द्वारों के 84 महादेव में से ही क्रमश: 81, 82, 83, 84 महादेव के नाम पर रखने की मांग की है। इनमें पिंगलेश्वर महादेव, कायावरुणेश्वर महादेव, बिल्केश्वर, त्रिविश्तपेश्वर महादेव शामिल है।
आगंतुक उज्जयिनी नगरी का अच्छा अनुभव लेकर जाएं। चारों दिशाओं में चार भव्य और आकर्षक द्वार 84 महादेव के नाम से बनाए जाएं। इस संबंध में मुख्यमंत्री आदि को ज्ञापन दिए गए है।
महंत डॉ. रामेश्वरदासजी, अध्यक्ष, श्री रामादल अखाड़ा परिषद उज्जैन
उज्जैन की चारों दिशाओं में द्वार बनाने से संबंधित प्रस्ताव प्रदेश के संस्कृति विभाग को भेजा गया है। अभी स्वीकृति नहीं आई है। -अविनाश लवानिया, सिंहस्थ मेला अधिकारी