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त्रिवेणी तट पर वासंतिक हिलोर, लाखों ने लगाई पुण्य की डुबकी

वसंत पंचमी पर अद्भुत संयोग, भगवान भाष्कर (सूर्यदेव) का प्रात:काल दर्शन होने पर श्रद्धालुओं में पतित पावनी गंगा-श्यामलय यमुना व अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी में डुबकी लगाने को श्रद्धालु उमड़ पड़े। त्रिविध ताप-पाप नाशिनी त्रिवेणी के आंचल में जनसैलाब कुछ पलों की पनाह लेने को आतुर नजर आया। वसंत पंचमी

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Sat, 24 Jan 2015 02:22 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jan 2015 02:27 PM (IST)
त्रिवेणी तट पर वासंतिक हिलोर, लाखों ने लगाई पुण्य की डुबकी

इलाहाबाद, जागरण संवाददाता। वसंत पंचमी पर अद्भुत संयोग, भगवान भाष्कर (सूर्यदेव) का प्रात:काल दर्शन होने पर श्रद्धालुओं में पतित पावनी गंगा-श्यामलय यमुना व अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी में डुबकी लगाने को श्रद्धालु उमड़ पड़े। त्रिविध ताप-पाप नाशिनी त्रिवेणी के आंचल में जनसैलाब कुछ पलों की पनाह लेने को आतुर नजर आया। वसंत पंचमी के पावन पर्व पर शनिवार को वासंतिक हिलोर में परमानंद का अनुभव करते हुए संगम में डुबकी गई। इससे संगम में चराचर जगत का सभी रंग समाहित नजर आया। पुण्य की लालसा में दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं के साथ शहरीय भी संगम तट पर पहुंचे। इस पावन बेला पर भक्तों को आशीष देने मानों 33 करोड़ देवी-देवता प्रयाग के तपोभूमि पर अवतरित हो गए हों।

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संगम में भोर तीन बजे से स्नान-दान का सिलसिला आरंभ हो गया। सुबह धूप निकलने पर श्रद्धालुओं की आस्था और हिलोरे मारने लगी। इससे घाट पर भीड़ बढ़ती जा रही थी, दस बजे के बाद भीड़ में लगातार इजाफा होता गया। आम श्रद्धालुओं के साथ जगद्गुरु नरेंद्रानंद सरस्वती, स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी, स्वामी महेशाश्रम, स्वामी ब्रह्माश्रम, महामंडलेश्वर मनोहर दास सहित मेला क्षेत्र में मौजूद सारे संत-महात्माओं ने भक्तों के साथ संगम में डुबकी लगाई।

घाट से चंद कदम दूरी पर संतों के शिविरों में चल रहे भजन, प्रवचन व मंत्रों की स्वरलहरी से पूरा क्षेत्र गुंजायमान था। दूर-दूर से आए श्रद्धालु संतों के सानिध्य में कुछ पल बिताकर अधिक से अधिक पुण्य अर्जित करने को आतुर थे।

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