काउंटर शृंखला में दफन बाबा की महत्ता बखानते शब्द चित्र
काशी जिसका अस्तित्व ही बाबा से माना जाता हो, भला उनसे बड़ा कौन हो सकता है, लेकिन उनके ही दरबार में अफसरों का इस बात से सरोकार नहीं रहा। नित हजारों देशी-विदेशी श्रद्धालु व पर्यटक, काशी और काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा के दरस-परस को आते हैं। इसमें तमाम खुद
वाराणसी । काशी जिसका अस्तित्व ही बाबा से माना जाता हो, भला उनसे बड़ा कौन हो सकता है, लेकिन उनके ही दरबार में अफसरों का इस बात से सरोकार नहीं रहा। नित हजारों देशी-विदेशी श्रद्धालु व पर्यटक, काशी और काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा के दरस-परस को आते हैं। इसमें तमाम खुद को जिज्ञासा और ज्ञान पिपासा के अथाह सागर में पाते हैं। ऐसे लोगों के लिए ही गर्भगृह के उत्तरी-दक्षिणी बरामदों में उकेरी गई मय बखान 17 संगमरमरी आकृतियों को मंदिर प्रशासन ने काउंटर शृंखला के पीछे दफन कर दिया।
वर्ष 2007 में तब भी यहां मंडलायुक्त रहे नितिन रमेश गोकर्ण ने श्रद्धालुओं को जप तप के लिए बरामदे बनवाए थे, ताकि वे बाबा की शरण में दो पल बिता सकें। उनकी जिज्ञासा व ज्ञान पिपासा मिटाने के लिए इनकी दीवारों पर तीन गुणित छह फीट के अलग-अलग प्रसंगों को बयान करते शब्दमय चित्र लगवाए गए। संस्कृत श्लोकों और इसके ङ्क्षहदी अर्थों के जरिए पूरा बखान भी दर्ज है, जिसे संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय,काशी ङ्क्षहदू विश्वविद्यालय और काशी के मूर्धन्य विद्वानों ने सरल व सहज रूप में आकार दिया है। वास्तव में इस व्यवस्था के लिए ही रानीभवानी मंदिर खरीदा गया था। दोनों परिसरों के बीच दीवार हटाकर परिसर को विस्तार दिया गया था ताकि श्रद्धालुओं को पूजा-पाठ व जप-तप करने का स्थान मिल सके और भीड़ बढऩे पर धकेल कर बाहर न किया जाए। रानीभवानी, तारकेश्वर समेत उत्तरी दक्षिणी बरामदों में आकृतियां भी उकेरी गईं।
बाद के दौर में प्रशासन ने एक-एक कर इन बरामदों में कब्जा करना शुरू किया। अब उत्तरी बरामदे में मंदिर का कंट्रोल रूम, हुंडी खोलने का काउंटर और प्रसाद काउंटर बना दिया गया है। दक्षिण बरामदे के निकास द्वार के पास एक बड़ा काउंटर बनाया गया हैं, जिसमें दो भित्ति चित्र छिप गए। फिलहाल 17 में से सात आकृतियां ही दिखती हैं।
रहस्य खोलते शब्द चित्र
दक्षिणी बरामदा
- रिपुंजय (दिवोदास) का राज्य
- भगीरथ की तपस्या व गंगावतरण
- मणिकर्णिका तीर्थ
- दक्षसुता सती प्रसंग
- अद्र्धनारीश्वर शिव प्रादुर्भाव
- भगवान शिव द्वारा विशेश्वर लिंग स्थापना
- कैलाश पर शिव पार्वती व नंदी
- शिव पार्वती विवाह
- त्रिशूल पर काशी
उत्तरी बरामदा
- भगवान विशेश्वर का काशी विरह
- 64 योगिनियों का काशी आगमन
- भगवान शंकर द्वारा तारक मंत्र
- कपिलधारा तीर्थ की स्थापना
- शंकरजी द्वारा अष्टमातृकाओं की उपासना
- काशी में पंचनद तीर्थ की स्थापना
- काशी में 56 विनायक व एक अन्य।