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Attukal Pongala 2021: आज है अट्टुकल पोंगल, जानें इस त्यौहार का महत्व और इतिहास

Attukal Pongala 2021 आज अट्टुकल पोंगाल है। अट्टुकल पोंगाल एक दस दिवसीय त्यौहार है जिसे अट्टुकल मंदिर तिरुवनंतपुरम केरल में मनाया जाता है। इस दिन अट्टुकल देव की पूजा की जाती है। साथ ही मंदिरों में लाखों भक्त इकट्ठा होते हैं

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 09:30 AM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 09:30 AM (IST)
Attukal Pongala 2021: आज है अट्टुकल पोंगल, जानें इस त्यौहार का महत्व और इतिहास
Attukal Pongala 2021: आज है अट्टुकल पोंगल, जानें इस त्यौहार का महत्व और इतिहास

Attukal Pongala 2021: आज अट्टुकल पोंगाल है। अट्टुकल पोंगाल एक दस दिवसीय त्यौहार है जिसे अट्टुकल मंदिर, तिरुवनंतपुरम, केरल, में मनाया जाता है। इस दिन अट्टुकल देव की पूजा की जाती है। साथ ही मंदिरों में लाखों भक्त इकट्ठा होते हैं और हर्षोल्लास के साथ यह त्यौहार मनाते हैं। यह केरल में प्रत्येक वर्ष अटुकल भगवती मंदिर में महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। अट्टुकल पोंगाल हर साल मलयालम महीने के मकरम या कुंभम के कार्तिगई तारे पर शुरू होता है और रात में कुरुतीथर्पणम के रूप में जाना जाता है।

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अट्टुकल पोंगल 2021 का मुहूर्त:

27 जनवरी 2021

पूरम नक्षत्र 27 फरवरी को सुबह 11 बजकर 18 मिनट से शुरू होगा और यह 28 फरवरी को सुबह 9 बजकर 36 मिनट पर खत्म होगा।

अट्टुकल पोंगाल का महत्व:

अट्टुकल पोंगाल दुनिया का सबसे बड़ा महिला उत्सव है। इस दिन अनुष्ठान करने के लिए महिलाएं बड़ी संख्या में एकत्र होती हैं। इस दिन शहर की सड़कें श्रद्धालुओं से भर जाती हैं। इस दिन महिलाएं अटुकल देवी को मिट्टी के बर्तन में मिठाई अर्पित करती है। इस दिन महिलाएं मिट्टी के बर्तन में चावल से बना भोजन बनाती हैं और इसे मां को अर्पित करती हैं। इस त्योहार को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है क्योंकि यह महिलाओं का सबसे बड़ा त्यौहार है।

अट्टुकल पोंगाल का इतिहास:

यह त्यौहार अटुकल भगवती मंदिर में मनाया जाता है। यहां की मुख्य देवी कन्नकी हैं। इन्हें भद्रकाली के रूप में भी जाना जाता है। भद्रकाली और कन्नकी देवी का एक नाम देवी अटुकलाम्मा भी है। मान्यता है कि इस दस दिवसीय उत्सव पर अटुकल मंदिर में वो मौजूद रहती हैं। राजा पांड्या पर कन्नकी की जीत का जश्न मनाने के लिए भक्त देवी की अराधना करते हैं। एक अन्य कथा के अनुसार, अट्टुकल देवी भद्रकाली हैं जो भगवान शिव की तीसरी आंख से राक्षस राजा दारुका का वध करने के लिए जन्मी थीं। इन्हें मुख्य रूप से केरल में पूजा जाता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।' 


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