Astronomical Events: वर्ष 2020 में हुई हैं ये अद्भूत खगोलीय घटनाएं, जानें इनके बारे में
Astronomical Events वर्ष 2020 पूरी दुनिया के लिए बेहद बुरा वर्ष साबित हुआ है। इसका श्रेय कोरोनावायरस को जाता है। लेकिन इस वर्ष का एक पहलू ऐसा भी है जिसने इस वर्ष को बेहद यादगार खुशनुमा शानदार और बेहतरीन बना दिया है।
Astronomical Events: वर्ष 2020 पूरी दुनिया के लिए बेहद बुरा वर्ष साबित हुआ है। इसका श्रेय कोरोनावायरस को जाता है। लेकिन इस वर्ष का एक पहलू ऐसा भी है जिसने इस वर्ष को बेहद यादगार, खुशनुमा, शानदार और बेहतरीन बना दिया है। यह पहलू है खगोलीय घटनाएं। इस वर्ष कई खगोलीय घटनाएं घटी हैं जिनमें एस्टेरॉयड, उल्का पिंड, धूमकेतु, ब्लू मून, फुल मून, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण, उल्काओं की बारिश, बुध-गुरु-मंगल-शुक्र ग्रहों के एक सीध में आने जैसी घटनाएं शामिल हैं। इनमें सबसे ज्यादा चर्चित 29 अप्रैल की घटना है जिसमें एक विशालकाय एस्टेरॉयड पृथ्वी के निकट होकर गुजरा। आइए जानते हैं इन घटनाओं के बारे में।
10 जनवरी: इस दिन आंशिक छाया चंद्रग्रहण लगा था। इस दौरान चंद्रमा थोड़ा गहरे रंग का होता है और पूरी तरह से लुप्त नहीं होता है। यह ग्रहण पूरे यूरोप, अफ्रीका, एशिया, हिंद महासागर और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में दिखाई दिया था।
29 अप्रैल: इस दिन एक विशालकाय एस्टेरॉयड पृथ्वी के पास से होकर गुजरा। जब यह पृथ्वी के सबसे ज्यादा पास था तब इसकी दूरी, धरती और चांदर की दूरी से 16 गुना थी।
15 जून: ऑस्ट्रेलिया में करीब रात 1 बजे आकाश में अचानक तेज रोशनी हो गई थी। यह उल्का पिंड था या धूमकेतु या कुछ और, यह तो तय नहीं हो पाया है। यह दृश्य ऐसा था मानों कोई आग का गोला आसमान चीरता हुआ आ रहा है।
5 जून: इस दिन आंशिक छाया चंद्रग्रहण लगा था। इस दौरान चंद्रमा थोड़ा गहरे रंग का होता है और पूरी तरह से लुप्त नहीं होता है। यह ग्रहण पूरे यूरोप, अफ्रीका, एशिया, हिंद महासागर और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में दिखाई दिया था।
21 जून: इस दिन वलयाकार सूर्यग्रहण था। जब चन्द्रमा पृथ्वी से काफी दूर होने के बाद भी पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। यह सूर्य को इस तरह से ढक देता है कि सूर्य का केवल बीच का हिस्सा ही चंद्रमा के छाया क्षेत्र में आता है।
जुलाई-अगस्त: इन महीनों के दौरान एक दुर्लभ धूमकेतु NEOWISE नजर आया। भारत समेत विश्व के कई देशों में करीब 20 दिनों तक इसे देखा जा गया।
5 जुलाई: यह चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की आंशिक छाया, या पेनम्ब्रा से होकर गुजरता है। इस प्रकार के ग्रहण के दौरान चंद्रमा थोड़ा गहरा होता है। यह उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, पूर्वी प्रशांत महासागर, पश्चिमी अटलांटिक महासागर और अत्यधिक पश्चिमी अफ्रीका के अधिकांश हिस्सों में दिखाई दिया था।
23 जुलाई: यह धूमकेतु की घटना थी। 3 जुलाई को सूर्य का चक्कर लगाकर धरती की तरफ धूमकेतू तेजी से बढ़ रहा था। यह धरती के नजदीक 23 जुलाई को आया था।
31 अक्टूबर: इस दिन ब्लू मून की घटना हुई। इसी तरह का फुल मून मार्च के महीने में भी देखा गया था। यह अगली बार 70 साल बाद ही दिखाई देगा।
30 नवंबर: यह चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की आंशिक छाया, या पेनम्ब्रा से होकर गुजरता है। इस प्रकार के ग्रहण के दौरान चंद्रमा थोड़ा गहरा होता है। यह ग्रहण पूरे उत्तरी अमेरिका, प्रशांत महासागर और जापान सहित उत्तरपूर्वी एशिया में दिखाई दिया था।
14 दिसंबर: यह तब होता है जब चन्द्रमा पृथ्वी के बेहद पास रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। इससे चन्द्रमा पूर्ण रूप से पृ्थ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले लेता है। इससे सूर्य का प्रकाश पृ्थ्वी तक पहुंच पाता है और धरती पर अंधकार की स्थिति बन जाती है। यह दक्षिणी चिली और दक्षिणी अर्जेंटीना के कुछ हिस्सों में दिखाई दिया था।
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