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धन का संचय उतना ही करना चाहिए जितनी जरूरत हो

बात उस समय की है जब गुरु नानक देव लाहौर यात्रा पर थे। वह एक अजीब नियम था। वो यह कि जिस व्यक्ति के पास जितनी अधिक संपत्ति वह अपने घर के ऊपर उतने ही झंडे लगाता था। लाहौर में दुनीचंद्र के पास 20 करोड़ रुपए की संपत्ति थी। इसलिए उसके

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 03 Feb 2016 11:00 AM (IST)Updated: Wed, 03 Feb 2016 11:16 AM (IST)
धन का संचय उतना ही करना चाहिए जितनी जरूरत हो

बात उस समय की है जब गुरु नानक देव लाहौर यात्रा पर थे। वह एक अजीब नियम था। वो यह कि जिस व्यक्ति के पास जितनी अधिक संपत्ति वह अपने घर के ऊपर उतने ही झंडे लगाता था।

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लाहौर में दुनीचंद्र के पास 20 करोड़ रुपए की संपत्ति थी। इसलिए उसके घर की छत पर 20 झंडे फहरा रहे थे। दुनीचंद्र को पता चला कि गुरु नानक जी लाहौर आए हैं तो वो उनसे मिलने गया। दुनीचंद्र ने गुरुनानक जी से सेवा का अवसर मांगा।

गुरु नानक जी ने उसे एक सुई देते हुए कहा, इसे ले जाइए और अगले जन्म में मुझे वापस कीजिएगा। दुनीचंद्र ने सुई ले ली। लेकिन उसने सोचा कि अगले जन्म में यह सुई मैं कैसे ले जा सकूंगा। वह वापस गुरु नानक जी के पास गया और उसने कहा, मरने के बाद में यह सुई कैसे ले जा सकता हूं।

तब गुरु नानक जी ने कहा, जब तुम एक सुई अपने अगले जन्म में नहीं ले जा सकते तो इतनी सारी संपत्ति कैसे ले जा सकोगे। दुनीचंद्र ने जब यह बात सुनी तो उसकी आंखें खुल गईं। इस तरह उसने सभी दीन-दुखियों की मदद करना शुरू कर दिया।

संक्षेप में

धन का संचय उतना ही करना चाहिए जितनी जरूरत हो। लालच के चलते हम धन का संचय तो करते हैं लेकिन क्या आप उसे अपने अगले जन्म में ले जा सकेंगे। शायद नहीं। इस तरह सच्ची सीख देकर गुरु नानक जी ने दुनीचंद्र की आंखें खोल दीं।


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