Amavasya Shradh 2019: आज विदा हो रहे हैं पितर, जानें मुहूर्त, श्राद्ध विधि एवं महत्व
Amavasya Shradh 2019 Or Pitru Visarjan Mahalaya 2019 आश्विन मास की अमावस्या को पितृ विसर्जिनी अमावस्या पितृ विसर्जन महालया आमवस्या श्राद्ध या सर्वपितृ अमावस्या कहते हैं।
Amavasya Shradh 2019 Or Pitru Visarjan Mahalaya 2019: आश्विन मास की अमावस्या को पितृ विसर्जिनी अमावस्या, पितृ विसर्जन महालया, आमवस्या श्राद्ध या सर्वपितृ अमावस्या कहते हैं। यह अमावस्या आज है। यह दिन श्रद्धापूर्वक पितरों को विदा करने का है। जो व्यक्ति पितृ पक्ष के पंन्द्रह दिनों तक पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध और तर्पण नहीं कर पाते हैं, वे पितृ विसर्जिनी अमावस्या के दिन अपने पितरों का श्राद्ध करता है।
ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र के अनुसार, आपको अपने जिन पितरों की तिथि ज्ञात नहीं हो, तो पितृ विसर्जिनी अमावस्या के दिन आप उनका श्राद्ध कर सकते हैं। उनके निमित्त तर्पण, दान आदि इसी अमावस्या को कर सकते हैं।
आज के दिन सभी पितरों का विसर्जन होता है। अमावस्या के दिन पितर अपने पुत्रादि के द्वार पर पिण्डदान एवं श्राद्धादि की आशा में आते हैं। यदि वहां उनको पिण्डदान या तिलाञ्जलि आदि नहीं मिलती है तो वे शाप देकर चले जाते हैं। अत: एकदम से श्राद्ध का परित्याग न करें, पितरों को संतुष्ट अवश्य करें।
श्राद्ध करने का समय
पितृ विसर्जिनी अमावस्या शनिवार के दिन पड़ रहा है तो इसे शनि अमावस्या भी कहते हैं। अमावस्या की तिथि सुबह 03:46 बजे से लग रही है, जो रात 11:56 तक रहेगी। इस दिन आपको दोपहर के समय में श्राद्ध कर्म को सम्पन्न करना चाहिए।
ऐसी मान्यता है कि दक्षिण दिशा यमराज की है, ऐसे में पितरों को समर्पित श्राद्ध आदि कर्म इसी दिशा करनी चाहिए।
श्राद्ध की विधि
पितृ-पक्ष में अपने पितरों का ध्यान कर नीचे लिखे मन्त्र से जल में सफ़ेद फूल और काला तिल डालकर 15 दिन नित्य दक्षिण दिशा की ओर मुख करके श्रद्धापूर्वक जल देने से सुख-शान्ति एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।।
प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
पितर: पितरो त्वम तृप्तम भव पित्रिभ्यो नम:।।
जल देने के बाद अन्तरिक्ष की ओर हाथ ऊपर करके प्रणाम करते हुए पितरों की श्रद्धा पूर्वक स्तुति करनी चाहिए। श्राद्ध के लिए बनाया गया भोजन का एक अंश कोओं को दे दें।
माना जाता है कि कौओं के भोजन कर लेने से वह अंश पितरों को प्राप्त हो जाता है। श्राद्ध कर्म पूरा करने के बाद शाम को घर के बाहर दक्षिण दिशा में एक दीपक जलाएं और पितरों को श्रद्धापूर्वक नमस्कार कर उनको विदा करें।