रंगभरी व आमलकी एकादशी मनेगा एक मार्च को होलिकोत्सव का होगा श्रीगणेश
फाल्गुन शुक्ल एकादशी को आमलकी एकादशी व्रत तथा रंगभरी एकादशी अर्थात रंगों का उत्सव अपने चरम पर पहुंचने के लिए बेसब्री से आगे बढ़ चुका है। ब्रह्मंड पुराण के अनुसार आमलकी एकादशी का व्रत महापापों का नाश, लक्ष गोदान के समान पुण्य और अंत में मोक्ष की प्राप्ति कराने वाली
वाराणसी। फाल्गुन शुक्ल एकादशी को आमलकी एकादशी व्रत तथा रंगभरी एकादशी अर्थात रंगों का उत्सव अपने चरम पर पहुंचने के लिए बेसब्री से आगे बढ़ चुका है। ब्रह्मंड पुराण के अनुसार आमलकी एकादशी का व्रत महापापों का नाश, लक्ष गोदान के समान पुण्य और अंत में मोक्ष की प्राप्ति कराने वाली मानी गई है।
ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी के अनुसार इस दिन आंवले के समीप बैठकर भगवान विष्णु का पंचोपचार या षोडशोपचार विधिवत पूजन करें। पुरोहितों को दक्षिणा दें और कथा को सुने। रात्रि में जागरण करके दूसरे दिन पारण करें। कथा के अनुसार वैदेशिक नगर में चैत्ररथ राजा के राज्य में फाल्गुन शुक्ल एकादशी को राज्य की जनता बड़ी धूमधाम से व्रत कर उत्सव मनाती थी। इससे राज्य में चारों तरफ खुशी का माहौल रहता था। एक बार की बात है कि नगर में व्रत के महोत्सव में लोगों मग्न देखकर एक बाघ आकर वहां बैठ गया। भूखा-प्यासा दूसरे दिन तक वहीं बैठा रहा। इस प्रकार अकस्मात ही व्रत और जागरण हो जाने से वह पुण्य का भागी बन गया। दूसरे जन्म में इंसान का जन्म लिया और जयंती राज्य का राजा हो गया।
शास्त्रों में इस व्रत का बड़ा ही बखान किया गया है। इसी दिन रंगभरी एकादशी भी मनाई जाती है। लोक में कहा जाता है कि वसंत पंचमी को भगवान शिव का तिलकोत्सव और महाशिवरात्रि को विवाह और रंगभरी एकादशी को वह गौना लेकर आए थे। रंगभरी एकादशी पर काशी में बाबा का श्रृंगार दिवस मनाया जाता है। इसी दिन शाम को शिवालयों में मां पार्वती और भगवान शंकर संग भक्त अबीर-गुलाल खेलकर होलिकोत्सव की शुरुआत करते हैं। इस बार रंगभरी और आमलकी एकादशकी एक मार्च को मनाया जाएगा। फाल्गुन शुक्ल एकादशी तिथि 28 फरवरी को दिन में 3.02 बजे पर लग रही है। यह एक मार्च को दिन में तीन बजकर 27 मिनट तक रहेगा। वहीं इस शुभ घड़ी में पुनर्वसु नक्षत्र का साथ होगा।
रंगभरी एकादशी के दिन एक मार्च को दोपहर एक से शाम साढ़े पांच बजे तक रजत पालकी पर बैठकर बाबा विश्वनाथ परिवार संग दर्शन देंगे। इस दौरान बाबा समेत परिवार के सभी सदस्य खाकी का कपड़ा पहनेंगे। यह बातें महंत आवास में शुक्रवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डा. कुलपति तिवारी ने दी। बताया कि उस दिन महंत परिवार के नौजवान व श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारी ओम नम: पार्वती कहते निकलते हैं। अबीर-गुलाल व गुलाब की पंखुडिय़ों से गलियां पट जाती हैं। बताया कि उस दिन दोपहर में एक बजे से पांच बजे तक महंत आवास में शिवांजलि कार्यक्रम का विशेष आयोजन होगा।