Move to Jagran APP

ऐसे थे आदि शंकराचार्य, जो ज्ञानी होने के बावजूद फल से लदे वृक्ष की तरह विनम्र थे

वैशाख मास की शुक्ल पंचमी के दिन आदि गुरु शंकराचार्य जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष यह तिथि 30 अप्रैल है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 27 Apr 2017 01:29 PM (IST)Updated: Thu, 27 Apr 2017 01:29 PM (IST)
ऐसे थे आदि शंकराचार्य, जो ज्ञानी होने के बावजूद फल से लदे वृक्ष की तरह विनम्र थे
ऐसे थे आदि शंकराचार्य, जो ज्ञानी होने के बावजूद फल से लदे वृक्ष की तरह विनम्र थे

आदि शंकराचार्य समुद्र किनारे बैठकर कुछ शिष्यों के साथ वार्तालाप कर रहे थे। उनमें से एक शिष्य ने चाटुकारिता भरे शब्दों में कहा, ‘आपने इतना अधिक ज्ञान कैसे अर्जित किया? शायद और किसी के पास इतने ज्ञान का भंडार न होगा।’

loksabha election banner

‘यह तुम्हें किसने बताया? मुझे तो अपने ज्ञान में और वृद्धि करनी है।’ शंकराचार्य ने कहा और फिर उन्होंने अपने हाथ की लकड़ी पानी में डुबा दी और उसे उस शिष्य को दिखाते हुए बोले-अभी अभी मैंने इस अथाह सागर में यह लकड़ी डुबाई, लेकिन उसने केवल एक बूंद ही ग्रहण की। बस, यही बात ज्ञान के बारे में है। ज्ञानागार को कुछ न

कुछ ग्रहण करते रहना पड़ता है। मुझे अभी बहुत कुछ ग्रहण करना है।

ऐसे थे आदि शंकराचार्य, जो ज्ञानी होने के बावजूद फल से लदे वृक्ष की तरह विनम्र थे। वे एक महान हिंदू दार्शनिक एवं धर्मगुरु थे। उनका जन्म 788 ईसा पूर्व केरल के कालड़ी में हुआ था। वैशाख मास की शुक्ल पंचमी के दिन आदि गुरु शंकराचार्य जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष यह तिथि 30 अप्रैल है। आदि शंकराचार्य जीवनपर्यंत सनातन धर्म के जीर्णोद्धार में लगे रहे। उनके प्रयासों से हिंदू धर्म को नव चेतना मिली। उन्होंने अद्वैतवाद के सिद्धांत को प्रतिपादित किया, जिसके कारण वे जगत गुरु भी कहलाए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.