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सप्तर्षि आरती के अर्चकों पर कसा शिकंजा

श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार में बाबा की सप्तर्षि आरती में नित्य विलंब और दक्षिणा वसूली के मामले में मंदिर प्रशासन ने अर्चकों पर शिकंजा कसा है। न्यासियों द्वारा इस ओर ध्यान दिलाए जाने पर पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बुधवार को नोटिस जारी कर दी।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 23 Jul 2015 01:17 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2015 01:20 PM (IST)
सप्तर्षि आरती के अर्चकों पर कसा शिकंजा

वाराणसी । श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार में बाबा की सप्तर्षि आरती में नित्य विलंब और दक्षिणा वसूली के मामले में मंदिर प्रशासन ने अर्चकों पर शिकंजा कसा है। न्यासियों द्वारा इस ओर ध्यान दिलाए जाने पर पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बुधवार को नोटिस जारी कर दी। इसमें सप्तर्षि आरती के सभी अर्चकों को 24 जुलाई को दोपहर 12.30 बजे कैंप कार्यालय में उपस्थित होकर कारण बताने को कहा गया है।

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कार्यपालक समिति की 17 जुलाई को मंडलायुक्त की अध्यक्षता में हुई बैठक में न्यासियों ने अर्चकों द्वारा स्वार्थवश सप्तर्षि आरती में विलंब किए जाने की शिकायत की थी। उनका कहना था कि इस आरती का समय शाम 7.30 से रात 8 बजे तक निर्धारित है। इसके बाद भी आरती 8.30 बजे तक की जाती है। अर्चक इसे खींच कर नौ बजे तक ले जाते हैं और मंदिर परिसर में घूम-घूम कर श्रद्धालुओं से दक्षिणा वसूलते हैं। इससे मंदिर की छवि धूमिल होती है और अव्यवस्था फैलती है। इस रवैये के कारण रात 9.30 से होने वाली श्रृंगार आरती में भी देर होती है। इससे सकते में आई कार्यपालक समिति ने सप्तर्षि आरती समय से शुरु कर समापन करने और तत्काल बाद अर्चकों को मंदिर से बाहर जाने का भी निर्देश दिया था। इस मामले में दोषियों पर वैधानिक कार्रवाई के लिए मुख्य कार्यपालक अधिकारी को अधिकृत भी किया था।

धीरे धीरे बिगड़ती गई व्यवस्था : वास्तव में पांच साल पहले तक सप्तर्षि आरती के लिए शाम 6.45 बजे कपाट बंद कर गर्भगृह की सफाई की जाती थी। शाम 6.55 बजे आरती बैठती और 7.45 बजे समापन हो जाता था। इसके बाद परिसर में कतारबद्ध श्रद्धालु एक घंटे तक बाबा का दर्शन पूजन करते थे। रात 8.45 बजे गर्भगृह का कपाट बंद कर सफाई और 8.55 से श्रृंगार भोग आरती शुरू होकर रात 10 बजे समाप्त होती थी। श्रद्धालु रात 10 से 10.30 तक झांकी दर्शन करते थे।


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