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इसके बाद पुनः चैत्र से नव वर्ष का आगमन होता है

हिंदू माह फाल्गुन का महत्व तब ओर बढ़ जाता है, जब प्रकृति भी इस माह का स्वागत करती है। इस माह में रंगों के त्योहार होली मनाई जाती है। भगवान विष्णु ने भी अत्याचारी हिरण्‍यकश्‍यप का वध करने के लिए फाल्गुन माह में ही नृसिंह अवतार लिया था।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2016 12:11 PM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2016 12:40 PM (IST)
इसके बाद पुनः चैत्र से नव वर्ष का आगमन होता है

हिंदू माह फाल्गुन का महत्व तब ओर बढ़ जाता है, जब प्रकृति भी इस माह का स्वागत करती है। इस माह में रंगों के त्योहार होली मनाई जाती है। भगवान विष्णु ने भी अत्याचारी हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए फाल्गुन माह में ही नृसिंह अवतार लिया था।

हिंदू पंचांग के अनुसार यह माह वर्ष का अंतिम माह है। इसके बाद पुनः चैत्र से नव वर्ष का आगमन होता है। फाल्गुन में न तो ज्यादा सर्दी और न ही गर्मी होती है। यानी वर्ष के अंतिम माह में प्रकृति भी संतुलित अवस्था में मौसम को व्यवस्थित बनाए रखती है।

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को लक्ष्मी जी तथा सीता जी की पूजा होती है। फाल्गुनी पूर्णिमा को ही दक्षिण भारत में 'उत्तिर' नामक मन्दिरोत्सव का भी आयोजन किया जाता है।

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फाल्गुन माह में इस वर्ष को 6 मार्च यानी द्वादशी को श्रवण नक्षत्र है। जिसे श्रवण द्वादशी या फाल्गुन कृष्ण द्वादशी कहते हैं। इस दिन उपवास करके भगवान हरि का पूजन करना चाहिए। ऐसा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ती होती है।

ये हैं हिंदू पंचांग आधारित 12 माह

चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन। फाल्गुन में अमूमन पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा क्रमशः पूर्व फाल्गुन, उत्तर फाल्गुन, हस्त नक्षत्र में होता है। यह फाल्गुन माह अंग्रेजी माह फरवरी-मार्च के दौरान होता है।


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