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मंदिर विवाद के सौहार्दपूर्ण हल के लिए 800 और समझौते

रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने की कोशिशों को रविवार को और बल मिला।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 30 May 2016 12:12 PM (IST)Updated: Mon, 30 May 2016 12:36 PM (IST)
मंदिर विवाद के सौहार्दपूर्ण हल के लिए 800 और समझौते

अयोध्या। रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने की कोशिशों को रविवार को और बल मिला। अयोध्या-फैजाबाद नागरिक समझौता समिति की तुलसी स्मारक भवन में हुई बैठक के दौरान समझौते के आठ सौ हस्ताक्षरयुक्त प्रपत्र एकत्रित किए गए।

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इस तरह हस्ताक्षरयुक्त प्रपत्रों की कुल संख्या नौ हजार हो गई है। 10 हजार हस्ताक्षरयुक्त प्रपत्र एकत्रित हो जाने पर समिति मसले के सौहार्दपूर्ण हल की मांग के साथ इसे विवादित परिसर के पदेन रिसीवर मंडलायुक्त को सौंपेगी। इस उम्मीद के साथ कि वह अपनी रिपोर्ट के साथ इन प्रपत्रों को सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करेंगे।

मुहिम के सूत्रधार सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति पलोक बसु को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट सौहार्द की सामूहिक आवाज को तवज्जो देगा। अयोध्या मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष सादिक अली बाबू भाई ने बिना नाम लिये आरोप लगाया कि वे लोग कभी नहीं चाहते कि विवाद का सौहार्दपूर्ण हल हो, क्योंकि विवाद से उनकी दुकानदारी चलती है।

उन्होंने मुस्लिमों से कहा कि वे रामलला को उनके स्थान से हटाने की जिद छोड़ें और यह याद करें कि भगवान राम रहे हों या हजरत मोहम्मद, उन्होंने सभी को गले लगाया। नागा रामलखनदास, वरिष्ठ अधिवक्ता रणजीतलाल वर्मा एवं आफताब रजा रिजवी, सलमानी समाज के जिलाध्यक्ष फरीद सलमानी ने भी समझौता समिति के प्रयासों को निर्णायक एवं स्वागतयोग्य बताया। बैठक में आल इंडिया मुस्लिम फेडरेशन के जिला महासचिव अब्दुल लतीफ, रामगुफा के महंत भानुदास, मो. उस्मान, नजम भाई सहित तीन दर्जन लोग मौजूद रहे। अगली बैठक नौ जुलाई को प्रस्तावित है और तब तक अपेक्षित संख्या में प्रपत्र एकत्रित हो जाने की उम्मीद है।

समझौता प्रपत्र में शर्तें

मंदिर-मस्जिद विवाद अयोध्या-फैजाबाद के हर धर्म, पंथ जाति के लोग तय करें। जहां रामलला विराजमान हैं, वहां मंदिर बनने में किसी को आपत्ति नहीं है। हाई कोर्ट के आदेश में विवादित स्थल का जो दक्षिणी हिस्सा मुस्लिम पक्ष को दिया गया है, वह मुस्लिम पक्ष अपने अधिकार में रखेगा पर वहां कोई निर्माण नहीं किया जाएगा।

मस्जिद निर्माण के लिए अधिग्रहीत परिसर की दक्षिण-पूर्वी सिरे की जमीन दी जाएगी। मंदिर-मस्जिद का निर्माण साथ-साथ शुरू होगा और अयोध्या में अन्य मस्जिदों की मरम्मत पर लगाई गई रोक हटाई जाएगी।


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