ब्रज की हवा में घुलेगा 5000 टन गुलाल
वसंत पंचमी से शुरू हुई होली की उमंग अब परवान चढऩे वाली है। लडडू होली, लठामार होली, रंगभरनी एकादशी के बाद होलिका दहन तक ब्रज की आबोहवा में इतना गुलाल घुल चुका होगा कि धरा से लेकर आसमां तक होली के रंग में सराबोर हो जाएगा।
मथुरा। वसंत पंचमी से शुरू हुई होली की उमंग अब परवान चढऩे वाली है। लडडू होली, लठामार होली, रंगभरनी एकादशी के बाद होलिका दहन तक ब्रज की आबोहवा में इतना गुलाल घुल चुका होगा कि धरा से लेकर आसमां तक होली के रंग में सराबोर हो जाएगा।
एक अनुमान के तहत 40 दिवसीय फाग महोत्सव में करीब पांच हजार टन अबीर-गुलाल उड़ेगा। जब लठामार होली और मंदिरों में अबीर गुलाल की वर्षा होती है, तो इस अलौकिक पल का साक्षी बनने को श्रद्धालु मचल उठते हैं और गा उठते हैं, उड़त गुलाल लाल भयै बदरा। इस अवसर को भुनाने का बाजार को भी वर्ष भर इंतजार रहता है।
कदम-कदम पर पर दुकान सजने लगी हैं। गुलाबी गुलाल और रंग सबसे ज्यादा भा रहा है। अपने प्रिय के रंग लगाने के लिए गुलाल के साथ कोई सूखा, तो कोई स्प्रे कलर खरीद रहा है। बरसाना, नंदगांव, बलदेव का हुरंगा, गोकुल की छड़ीमार होली वाले दिन तो इन स्थानों पर आसमान के दर्शन भी मुश्किल हो जाते हैं। इन आयोजनों के अलावा गांव-गांव होने वाले हुरंगा में भी जमकर गुलाल उड़ता है। होली के सामान के थोक विक्रेता गुरप्रीत बताते हैं कि लोग होली के लिए जमकर रंग-गुलाल की खरीदारी कर रहे हैं। इस बार हाथरस के साथ वाराणसी से भी अबीर-गुलाल आ रहा है।
स्ट्राबेरी और वनीला फ्लेवर में गुलाल-इस बार कंपनियों द्वारा स्पेशल ऑर्गेनिक गुलाल बाजार में उतारा गया है। यह गुलाल आंख या मुंह में चला जाए तो नुकसान नहीं, करेगा बल्कि स्ट्राबेरी और वनीला का स्वाद देगा।
मलिंगा कैप और कार्टून पिचकारी हैं पंसद- होली पर राजनीतिज्ञों से ज्यादा कार्टून करेक्टर हावी हैं। नेताओं के नाम के स्थान पर डोरेमॉन, छोटा भीम, एंग्री वर्ड आदि पिचकारी बच्चे पंसद कर रहे हैं। मलिंगा कैप भी बच्चों को भा रही है।