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कंबल पर 14 किलो घी का लेपन किया वस्त्र, शीतकाल में इस भगवान को पहनाया जाता

हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच शुभ मुहूर्त पर शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट भी बंद कर दिए गए। इस वर्ष चार लाख श्रद्धालुओं ने बदरी विशाल के दर्शन किए। इससे बदरी-केदार मंदिर समिति को छह करोड़ रुपये की आय हुई। गौरतलब है कि गंगोत्री,

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2015 12:58 PM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2015 01:12 PM (IST)
कंबल पर 14 किलो घी का लेपन किया वस्त्र, शीतकाल में इस भगवान को पहनाया जाता

बदरीनाथ। हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच शुभ मुहूर्त पर शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट भी बंद कर दिए गए। इस वर्ष चार लाख श्रद्धालुओं ने बदरी विशाल के दर्शन किए। इससे बदरी-केदार मंदिर समिति को छह करोड़ रुपये की आय हुई। गौरतलब है कि गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट पहले ही बंद किए जा चुके हैं। इसी के साथ चार धाम यात्रा भी संपन्न हो गई।

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फूलों से सजी बदरीशपुरी में मंगलवार को ब्रह्म बेला में बदरीनाथ के रावलईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने अभिषेक व महाभिषेक पूजाएं संपन्न कराईं। दोपहर बाद कपाट बंद करने की प्रक्रिया का शुभारंभ किया गया। इस वर्ष की अंतिम पूजा के साथ ही बदरीविशाल के स्वर्ण आभूषण उतार फूलों से श्रृंगार किया गया। इसके बाद भगवान को भोग लगा माणा गांव की कन्याओं द्वारा तैयार ऊन के कंबल पर 14 किलो घी का लेपन कर बदरीविशाल को पहनाया गया। शीतकाल में यही एकमात्र वस्त्र भगवान पर रहेगा।

रावल कुबेर को प्रार्थना मंडल में लाए और पूजा के लिए पांडुकेश्वर के बारीदारों के सुपुर्द किया। इसके बाद रावल सखी वेश में लक्ष्मी मंदिर से मां लक्ष्मी को गर्भगृह में ले गए। नारायण को लक्ष्मी के साथ विराजित करने के बाद सायं ठीक 4.35 बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। मान्यता है कि शीतकाल में देवर्षि नारद भगवान की पूजा अर्चना करते हैं। कपाट बंद करने के दौरान गढ़वाल स्काउट के बैंड की धुन के साथ देश विदेश से आए श्रद्धालु और साधु संत सिंह द्वार पर भजन कीर्तन करते रहे।

इस अवसर पर बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष गणोश गोदियाल ने देवभूमि लोक संस्कृति विरासित शोभा यात्रा को हरिद्वार के लिए रवाना किया। उन्होंने यात्रा दल के मुखिया पूर्व काबिना मंत्री मोहन सिंह रावत गांववासी को बदरीनाथ मंदिर का प्रतीक ध्वज सौंपा। वर्ष 2016 में होने वाले अर्धकुंभ में इसी ध्वज के नीचे गढ़वाल के देवी देवताओं की डोलियां स्नान करेंगी।मंगलवार को वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बदरीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए गए। इस अवसर पर फूलों से सजी बदरीश पुरी की शोभा देखते ही बनती थी। चारों धामों के कपाट बंद होने के साथ ही चार धाम यात्रा भी संपन्न हो गई है।


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