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बांकेबिहारी पर 1.36 करोड़ न्योछावर

वृंदावन [महेश चौधरी]। बांके बिहारी बड़े बांके हैं। दर्शनों को पर्दा कभी एक मिनट के लिए सतत नहीं खुलता। कहते हैं कि यदि किसी से आंख मिल गई तो उसके ही साथ चल देते हैं। उनके भक्त भी ऐसे हैं, कि सब कुछ बलिहारी करने को तैयार रहते हैं। चढ़ावा तो हर साल बढ़ता ही जा रहा है। एक भक्त समूह ने तो 1.36 करोड़ रुपये एकमुश्त उनके नाम कर दिए। लाखों की धनराशि चढ़ाने वाले तो बेशुमार हैं।

By Edited By: Published: Mon, 03 Jun 2013 06:23 PM (IST)Updated: Mon, 03 Jun 2013 06:29 PM (IST)
बांकेबिहारी पर 1.36 करोड़ न्योछावर

वृंदावन [महेश चौधरी]। बांके बिहारी बड़े बांके हैं। दर्शनों को पर्दा कभी एक मिनट के लिए सतत नहीं खुलता। कहते हैं कि यदि किसी से आंख मिल गई तो उसके ही साथ चल देते हैं। उनके भक्त भी ऐसे हैं, कि सब कुछ बलिहारी करने को तैयार रहते हैं। चढ़ावा तो हर साल बढ़ता ही जा रहा है। एक भक्त समूह ने तो 1.36 करोड़ रुपये एकमुश्त उनके नाम कर दिए। लाखों की धनराशि चढ़ाने वाले तो बेशुमार हैं।

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तिरुपति बालाजी, शिरडी के साईं बाबा और वैष्णो देवी देश के सबसे ज्यादा दान वाले मंदिरों में माने जाते हैं। गणेश उत्सव पर मुंबई के सिद्धि विनायक और लालबाग के राजा पर भी लोग करोड़ों का गुप्त दान करते हैं। अब बांकेबिहारी के चरणों में भी ऐसे भक्त पहुंच रहे हैं। दिल्ली के एक भक्त व उसके साथियों ने वित्तीय वर्ष 2013-14 के पहले ही दिन बांके बिहारी पर 1.36 करोड़ रुपये न्योछावर किए। यह समूह प्रतिवर्ष एक अप्रैल को चेक के माध्यम से दान करता है। इससे पूर्व उन्होंने 1.25 करोड़ रुपये बांकेबिहारी के चरणों में अर्पित किए थे।

यह सिलसिला 12 वर्ष पहले शुरू हुआ था। समूह दान की राशि में प्रति वर्ष 10 से 15 लाख तक की बढ़ोतरी करता है। बांके बिहारी मंदिर में चढ़ाई गई 1.36 करोड़ रुपये की राशि को सूबे में सबसे बड़ा चढ़ावा माना जा रहा है। बता दें कि यूपी में मथुरा-वृंदावन तथा बनारस के मंदिरों में सबसे ज्यादा चढ़ावा आता है।

गोलक में बांसुरी व स्वास्तिक

बांके बिहारी मंदिर में स्थापित गोलक में आभूषण और नगदी भी निकलती हैं। हालांकि मंदिर प्रबंधन साफ तौर यह नहीं बता पा रहा है कि गोलक में निकलने वाली बांसुरी, स्वास्तिक किसकी बनी हुई है। प्रबंधक अभिलाष सिंह का कहना है कि बांसुरी व स्वास्तिक देखने में सोने-चांदी के लगते हैं। उनका कहना है कि अधिक मात्रा में ऐसे चढ़ावा वाली वस्तुओं के एकत्रित हो जाने पर इनका डिस्पोजल किया जाता है। उस समय एक्सपर्ट सोने-चांदी जैसी वस्तु दिखने वाली चीजों की पहचान करता है। हालांकि यह प्रक्रिया वर्ष 2009 के बाद अभी तक नहीं हुई है।

100-150 ग्राम निकलता सोना

बांके बिहारी मंदिर में स्थापित गोलक से हर बार 100 से 150 ग्राम तक सोने जैसी दिखने वाली वस्तुएं निकलती हैं। कमेटी के प्रबंधक अभिलाष सिंह ने बताया कि गोलक को वकील और जज के सामने खोला जाता है, इसके बाद बैंक लॉकर में जमा करा दिया जाता है।

दिल्ली ने खोल रखा है दिल

बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के लिए यूं तो दुनियाभर से लोग आते हैं। लेकिन चढ़ावा राशि के मामले में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लोग सबसे आगे हैं।

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