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जलती रहे आयुर्वेद की ज्योति

परमार्थ निकेतन के शिविर में चल रहे आयुर्वेद, शाकाहार और योग सम्मेलन का सोमवार को समापन हो गया। दो दिन तक चले इस सम्मेलन में शाकाहार को जीवन में आत्मसात करने पर बल दिया गया।

By Edited By: Published: Tue, 19 Feb 2013 12:54 PM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2013 12:54 PM (IST)
जलती रहे आयुर्वेद की ज्योति

इलाहाबाद। परमार्थ निकेतन के शिविर में चल रहे आयुर्वेद, शाकाहार और योग सम्मेलन का सोमवार को समापन हो गया। दो दिन तक चले इस सम्मेलन में शाकाहार को जीवन में आत्मसात करने पर बल दिया गया। वहीं योग, आयुर्वेद के जरिए निरोगी काया पाने के तरीके विशेषज्ञों ने सुझाए। समापन समारोह को संबोधित करते हुए परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती मुनि जी ने कहा कि गंगा है तो कुंभ है। इसलिए अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले समाज और देश को गंगा के लिए आवाज बुलंद करनी होगी। उन्होंने लोगों से गंगा के साथ ही शाकाहार के लिए प्रण लेने की अपील की। कहा कि आयुर्वेद और शाकाहार की यह ज्योति जलती रहनी चाहिए। जर्मनी से आए स्वामी परमद्वैति ने कहा कि भारत विश्‌र्र्व का सर्वाधिक शाकाहारी देश है। साध्वी भगवती ने कहा कि दुनिया में सुख व शांति की स्थापना करनी है तो हमें शाकाहार की महत्ता समझनी होगी। वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.एन गोपालकृष्णन ने पशुओं की हत्या से होने वाले नुकसान पर विस्तार से चर्चा की। इस अवसर पर शाकाहार आधारित पुस्तक वेजिटेरियन फार योर माइंड, योर बाडी, योर सोल एंड योर प्लेनेट और प्रसिद्ध नाटककार राजेन्द्र प्रसाद तिवारी की पुस्तक मांडवी का विमोचन किया गया। तकनीकी सत्र में डा.राम कुमार, डा.टीजी विनोद, डा.टीएस कृष्ण कुमार, डा.मनोज शंकर नारायण, डा.जेएम संपत और अर्जेटीना के काउंसलर जनरल डा.सरजियो राइस ने अपने विचार रखे। कार्यक्त्रम के दौरान कामद निगम, आनंद शुक्ल, शिव नारायण सिंह आदि मौजूद रहे। संचालन आदित्य कुमार ने किया।

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