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1ST Sawan Somvar Dates: सावन के पहले सोमवार पर करें इस योग में शिव पूजन, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं

1ST Sawan Somvar Dates भगवान शिव का प्रिय सावन का पहला सोमवार 26 जुलाई को पड़ रहा है। इस दिन शिव पूजन के विशेष योग निर्माण हो रहा है। आइये जानते हैं सावन के पहले सोमवार पर बन रहे विषेश योग के बारे में...

By Jeetesh KumarEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 11:00 AM (IST)Updated: Sun, 25 Jul 2021 10:36 AM (IST)
1ST Sawan Somvar Dates: सावन के पहले सोमवार पर करें इस योग में शिव पूजन, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं
सावन के पहले सोमवार पर करें इस योग में शिव पूजन, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं

1ST Sawan Somvar Dates: सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति और उनकी कृपा पाने का सबसे उत्तम महीना है। ये पूरा माह विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा को समर्पित हैं। सावन के महीने में शिव भक्त तरह-तरह से भोलोनाथ को रिझाने का प्रयास करते हैं और औढ़रदानी शिव से मन मांगी मुराद पाते हैं। इस वर्ष सावन का पावन महीना 25 जुलाई से शुरू हो रहा है और भगवान शिव का प्रिय सावन का पहला सोमवार 26 जुलाई को पड़ रहा है। सावन का सोमवार भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने का सबसे उत्तम अवसर है। इस दिन शिव पूजन के विशेष योग निर्माण हो रहा है। आइये जानते हैं सावन के पहले सोमवार पर बन रहे विषेश योग के बारे में...

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विशेष योग और शिव पूजन

हिदीं पंचांग के अनुसार सावन का पहला सोमवार 26 जुलाई को पड़ रहा है। इस साल सावन के महीने में चार सोमवार पड़ेगे। इस दिन भगवान शिव का व्रत रखने का और पूजन के विशेष संयोग का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष गणना के अनुसार सावन के पहले सोमवार पर चंद्रमा और गुरू की युति से गजकेसरी योग बन रहा है। गजकेसरी योग ज्योतिष में बहुत शुभ और मंगलकारी माना जाता है। ये योग भगवान शिव का पूजन करने या कोई भी शुभ कार्य करने के लिए बहुत ही उत्तम है।

भगवान शिव के मंत्र

सावन के महीने में विषेश रूप से सोमवार को भगवान शिव के इन मंत्रों से भोलेनाथ की आराधना करें आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी...

शिव जी का पंचाक्षर मंत्र -

ऊँ नम: शिवाय।।

महामृत्युंजय मंत्र-

ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।

शिव जी के प्रिय मंत्र-

1. ॐ नमः शिवाय।

2. नमो नीलकण्ठाय।

3. ॐ पार्वतीपतये नमः।

4. ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।

5. ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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