चैत्र नवरात्रि के छठवें दिन ऐसे करें मां कात्यायनी की पूजा मिलेगी रोग, शोक और भय से मुक्ति
चैत्र नवरात्रि के छठवें दिन देवी के गौरी और काली स्वरूपा मां कात्यायनी का पूजन होता है। इस दिन प्रार्थना करने से रोग, शोक और भय से मुक्ति मिलती है।
नौ रूपों में छठवां स्थान है
मां कात्यायनी नवदुर्गा या देवी शक्ति के नौ रूपों में छठवें रूप का नाम है। अमरकोष में इसे माता पार्वती के लिए दूसरा नाम माना जाता है, संस्कृत शब्दकोश में उमा, कात्यायनी, गौरी, काली, हैमावती, इस्वरी इन्हीं के अन्य नाम बताये गए हैं। शक्ति के आराधक के बीच माता कात्यायनी, शक्ति या दुर्गा, जिसमे भद्रकाली और चंडिका भी शामिल है, के रूप में भी प्रचलित हैं।
लाल रंग का महातम्य
परंपरागत रूप से मां कात्यायनी, देवी दुर्गा की तरह लाल रंग से जुड़ी हुई हैं। नौ दिन चलने वाले नवरात्रि उत्सव में षष्ठी के दिन में उनकी पूजा की जाती है। कहते हैं इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होता है। योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक मां कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है। परिपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्तों को सहज भाव से मां के दर्शन भी प्राप्त हो सकते हैं।
पूजन का महत्व और विधान
जैसा कि जानते हैं नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की उपासना का दिन होता है। माना जाता है कि इनके पूजन से भक्तों में शक्ति का संचार होता है और ये अपने आराधकों को दुश्मनों का संहार करने में ये सक्षम बनाती हैं। मां कात्यायनी का ध्यान गोधुली बेला में करना सर्वोत्म होता है। इनकी पूजा के लिए आराधना दिया गया श्लोक पढ़ना चाहिए, और मां का आर्शिवाद पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में छठे दिन इसका जाप करना चाहिए।
इस श्लोक का करें पाठ
मां कात्यायनी की पूजा के लिए इस श्लोक का पाठ करना चाहिए 'या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:। इसका अर्थ है हे मां सर्वत्र विराजमान और शक्ति -रूपिणी प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं। कहते हैं जिन कन्याओ के विवाह मे विलम्ब हो रहा हो, उन्हे इस दिन माँ कात्यायनी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, जिससे उन्हे मनोवान्छित वर की प्राप्ति होती है। विवाह के लिये कात्यायनी मन्त्र, ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि, नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:। का जाप करना अच्छा होता है। ऐसी मान्यता है कि देवी कात्यायनी को जो सच्चे मन से याद करता है उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा नष्ट हो जाते हैं।