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Mahashivratri: इन तीन कारणों से मनाते हैं महा​शिवरात्रि, जानें शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या है अंतर

Mahashivratri हिन्दू कैलेंडर के 12 मास में 12 शिवरात्रि होती हैं लेकिन महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में बड़ा अंतर है। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 12:05 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 12:29 PM (IST)
Mahashivratri: इन तीन कारणों से मनाते हैं महा​शिवरात्रि, जानें शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या है अंतर
Mahashivratri: इन तीन कारणों से मनाते हैं महा​शिवरात्रि, जानें शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या है अंतर

Mahashivratri: ​हिन्दू धर्म में महा​शिवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व है। इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 21 फरवरी 2020 दिन शुक्रवार को है। इस बार महा​शिवरात्रि के दिन सर्वार्थसिद्धि योग बनने से इसकी महत्ता और बढ़ गई है। हिन्दू कैलेंडर के 12 मास में 12 शिवरात्रि होती हैं, लेकिन महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में बड़ा अंतर है। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? आइए इन प्रश्नों के उत्तर जानते हैं।

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​महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं?

पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तीन कारणों से महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, जिसमें शिव-पार्वती का विवाह सबसे ज्यादा प्रचलित है। इस कारण से महाशिवरात्रि को कई स्थानों पर रात्रि में शिव बारात भी निकाली जाती है। महाशिवरात्रि इन तीन वजहों से मनाई जाती है:

1. शिव-पार्वती विवाह 

माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुई थी। इस तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के महामिलन के उत्सव के रूप में मनाते हैं। महाशिवरात्रि के दिन शिव-पार्वती का विवाह होने से इसका महत्व ज्यादा है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से वे जल्द प्रसन्न होते हैं। एक मान्यता यह भी है कि महाशिवरात्रि का व्रत रखने से विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं, विवाह जल्द होता है।

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2. महादेव का शिवलिंग स्वरूप 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही महोदव अपने शिवलिंग स्वरूप में प्रकट हुए थे। तब सबसे पहले ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु ने उनकी विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की थी। इस वजह से महाशिवरात्रि के दिन विशेष तौर पर शिवलिंग की पूजा करने का विधान है।

3. विषपान कर संसार को संकट से उबारा

कहा जाता है कि समुद्र मंथन से निकले विष का पान करके भगवान शिव ने इस सृष्टि को संकट से बचाया था, इस वजह से ही महाशिवरात्रि मनाई जाती है। सागर मंथन से निकले विष का पान करने से भगवान शिव का गला नीला पड़ गया था, जिस कारण उनको नीलकंठ भी कहा जाता है।

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शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर

हिन्दू कैलेंडर के प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि कहा जाता है, यह मासिक शिवरात्रि के नाम से प्रचलित है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ही आधी रात को भगवान शिव निराकार ब्रह्म से साकार स्वरूप यानी रूद्र रूप में अवतरित हुए थे, इसलिए इस तिथि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है।


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